Ranjit Safelkar and Santosh Ambekar
सफेलकर और आंबेकर

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    नागपुर. सिटी पुलिस ने नागपुर के सभी अपराधियों और उनकी गैंग पर नकेल कसी है. यही कारण है कि अधिकांश चर्चित अपराधी जेल की सलाखों के पीछे हैं. कोई मर्डर में बंद है तो कोई मोका में. पुलिस की सक्रियता तो वाकई काबिले तारीफ है लेकिन इस कार्रवाई से नागपुर सेंट्रल जेल प्रशासन का टेंशन बढ़ गया है. एक साथ सभी अपराधियों की गैंग जेल के भीतर बंद होने से हमेशा खतरा बना रहता है. भले ही ये अपराधी आमना-सामना होने पर भाइयों की तरह मिलते हों लेकिन सभी एक दूसरे के प्रति खुन्नस पाले रहते हैं. इससे जेल का माहौल बिगड़ रहा था. जेल के बाहर तो इस बात की चर्चा गरम थी. जेल अधिकारियों को भी इसकी भनक लग गई. अंदर ही अंदर अपराधियों के बीच चल रंजिश कोई बड़ी घटना का रूप न ले इसीलिए जेल प्रशासन ने अपराधियों को अलग-अलग जेलों में शिफ्ट करने का निर्णय लिया. सबसे पहले रणजीत सफेलकर और उसकी गैंग को नागपुर जेल से हटाकर चंद्रपुर जेल भेजा गया है. उसके करीबी भरत हाटे को अकोला, शरद उर्फ कालू हाटे को यवतमाल, हेमंत उर्फ हेमलाल गोरखा को वाशिम और श्रीनिवास विनयवार उर्फ सिनू अन्ना को वर्धा जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है. 

    गुल थी संतोष की सिट्टी-पिट्टी 

    सफेलकर और उसकी गैंग के जेल में जाने के बाद संतोष आंबेकर की सिट्टी-पिट्टी गुल थी. भले ही दोनों आमने-सामने दोस्त होने का दिखावा करते हों लेकिन अंदर ही अंदर रंजिश चलती है. इस वजह से संतोष भी परेशान था. बताया जाता है कि संतोष को डर सता रहा था. इसीलिए सफेलकर की नागपुर जेल से रवानगी हुई. सफेलकर को दूसरी जेल में भेजने का कारण नौशाद-इप्पा गैंग भी है. यह तो जगजाहिर है कि नौशाद-इप्पा की सफेलकर गैंग के साथ नहीं बनती. एक बिल्डर से रकम वसूली को लेकर हाटे बंधु और नौशाद-इप्पा के बीच ठन गई थी. संतोष के दुश्मनों की भी कमी नहीं है इसीलिए संतोष भी कार्रवाई से अछूता नहीं रहा. कई अपराधी उसके विरोध में भी खड़े रहते हैं इसीलिए जेल प्रशासन ने संतोष और उसकी गैंग को भी अन्य जेलों में स्थानांतरित कर दिया. संतोष को नासिक सेंट्रल जेल भेजा गया है. उसके भांजे नीलेश केदार को अकोला, रमेश लोणेपाटिल को अमरावती और कृष्णा थोटांगे को भंडारा जेल में शिफ्ट किया गया. हालाकि संतोष ने दूसरी जेल में स्थानांतरित करने का विरोध किया था लेकिन उसे राहत नहीं मिली.

    जेल के भीतर भी चल रहा था सिंडीकेट 

    केवल सफेलकर और आंबेकर ही नहीं शहर के कई अपराधियों की गैंग जेल में बंद है. नौशाद-इप्पा और उसकी गैंग के इतने लड़के जेल में हैं कि कोई उनके सामने खड़ा नहीं होता. पंटरों के बीच दोनों भाइयों ने अपना रुवाब बना रखा है. लेकिन सभी अपराधी अपने-आपको सूरमा मानते हैं. विजय मोहोड़ हत्याकांड के आरोपी राहुल कार्लेवार और अभय राउत की गैंग भी जेल में है. सुमित भी जेल के भीतर है. लेकिन सबसे ज्यादा टेंशन कम उम्र के अपराधियों का है. युवा अपराधी अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझते. पिछले दिनों रोशन के साथ 2 अपराधी भिड़ गए. जमकर मारपीट हुई. इसके बाद सामूहिक हत्याकांड में आरोपी पालटकर से भिड़ना 2 अपराधियों को भारी पड़ गया इसीलिए जेल प्रशासन भी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहता. 

    कैदियों की सुरक्षा प्राथमिकता : SP अनूपकुमार कुमरे 

    इस संबंध में जेल एसपी अनूपकुमार कुमरे से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि कैदियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है. कोरोना काल खत्म होने के बाद जेल से कैदियों का छूटना बंद हो गया है इसीलिए नागपुर सेंट्रल जेल में अपराधियों की संख्या बढ़ती जा रही है. मोका और एमपीडीए के कैदी भी जेल में हैं. बाहर हुई रंजिश जेल के भीतर कोई अप्रिय घटना को रूप न ले इसीलिए अपराधियों को अलग-अलग जेल में शिफ्ट किया गया है. यह सामान्य प्रशासकीय काम का हिस्सा है.