Stray Dogs
फ़ाइल फोटो

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    • 17 करोड़ का नसबंदी प्रस्ताव
    • 10 करोड़ का हुआ है आवंटन

    नागपुर. शहर में लगातार बढ़ती आवारा श्वानों की संख्या और विशेष रूप से रात के समय लोगों पर होते श्वानों के हमलों को लेकर अब न केवल जनता परेशान होने लगी है, बल्कि मनपा का प्रत्येक पार्षद भी इससे परेशान दिखाई दे रहा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अधिकांश पार्षदों ने आवारा श्वानों पर नकेल कसने के लिए एकसूर मिलाया. श्वानों के साथ ज्यादती होने पर जानवर प्रेमी संस्थाएं प्रशासन पर रोष प्रकट करते हैं. ऐसे में आवारा श्वानों की जिम्मेदारी दत्तक के रूप में इन संस्थाओं को देने की वकालत पार्षदों की ओर से की जा रही है.

    महापौर दयाशंकर तिवारी ने इस समस्या पर आयुक्त को स्वयं ध्यान देने के निर्देश दिए. पार्षद परिणीता फुके ने कहा कि शहर में आवारा जानवरों की परेशानी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. हाल ही में अभ्यंकर नगर परिसर में 8 वर्षीय बच्ची पर आवारा श्वानों ने हमला कर दिया. जिसमें बच्ची गंभीर रूप से घायल हुई है. इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा. इसका स्पष्टीकरण देने की मांग भी उन्होंने की. 

    हाथी के लिए 20,000 व मवेशी पर 500 का जुर्माना

    चर्चा के दौरान अजीबोगरीब जानकारी उजागर हुई. सदन में बताया गया कि यदि कोई जानवर सड़कों पर आवारा घूमता दिखाई दिया तो उसके पकड़े जाने पर अलग-अलग जुर्माना मनपा ने तय कर रखा है. शहर की सड़कों पर आवारा हाथी घूमता पाया जाना, असंभव सा लगता है. लेकिन ऐसा होने पर मालिक पर 20 हजार रु. का जुर्माना ठोंकने का नियम है. शहर की सड़कों पर मवेशी दिखाई देना आम बात है. जिसके लिए केवल 500 रु. का जुर्माना तय है. पार्षदों का मानना था कि यदि मवेशियों के लिए 20 हजार कर दिया जाए तो एक बार पकड़े जाने के बाद दूसरी बार उस मालिक की मवेशी सड़कों पर आवारा दिखाई नहीं देगी. किंतु कड़े नियम ही नहीं है. इस संदर्भ में प्रशासन का मानना था कि मवेशियों पर अधिक जुर्माना नहीं बढ़ाया जा सकता है. नियमों के अनुसार केवल 30 रू. ही बढ़ाया जा सकता है. इसके बावजूद मनपा ने 500 रु. रखा हुआ है. 

    सुअर के ब्रीडिंग का बढ़ गया धंधा

    -पार्षदों का मानना था कि आवारा श्वानों और मवेशियों के अलावा गली-गली घूमते सुअरों की परेशानी भी बढ़ती जा रही है. कुछ समय पहले दक्षिण भारत से टीम बुलकर मनपा ने सराहनीय काम किया था. 

    -जिसमें सुअर पकड़ों अभियान चलाया था. उन दिनों सुअर की परेशानी कम हो गई थी. किंतु अब पुन: बढ़ गई है. आलम यह है कि अब शहर में ही कुछ पालक सुअरों के ब्रीडिंग का धंधा कर रहे हैं. 

    -इन सुअरों को कहीं भी छोड़ दिया जाता है. कोई सुबह सैर के लिए निकले तो उन्हें लाइन से सुअर के छोटे बच्चे दिखाई देते हैं. इस तरह का नजारा नागपुर स्मार्ट सिटी में हो रहा है. 

    -प्रशासन का मानना था कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में श्वानों की नसबंदी का प्रस्ताव बनाया गया था. 17 करोड़ का यह पूरे जिले का प्रस्ताव था. महापौर दयाशंकर तिवारी ने कहा कि नसबंदी के लिए सरकार की ओर से 10 करोड़ का आवंटन हो रहा है. 

    गौ माता और मांस से जुड़ गया मुद्दा

    मवेशियों को लेकर कुछ पार्षदों द्वारा उठाई गई आपत्ति का विरोध करते हुए पार्षद हरीश ग्वालबंशी ने कहा कि मवेशियों को गौ माता का स्थान प्राप्त है. उन्हें भी यहां रहने का अधिकार है. ऐसे में उसके खिलाफ कार्रवाई तर्कसंगत नहीं है. प्रशासन ने मवेशियों की इस परेशानी से निपटने के लिए नंदी ग्राम योजना बनाई थी. यदि प्रशासन जमीन उपलब्ध कराए तो वहां पर तबेले स्थानांतरित हो सकते हैं लेकिन जमीन ही उपलब्ध नहीं की गई है. कुछ पार्षदों का मानना था कि शहर के भीतर मांस की खुलीं दूकानें होने के कारण आवारा श्वान खतरनाक होते जा रहे हैं. बंद दूकान होने पर इस समस्या से निपटा जा सकता है.