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  • अंबिया बाहर का 1.5 लाख टन संतरा र्नियात

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नागपुर. अंबिया बाहर  में संतरा अगस्त से दिसंबर के अंत तक रहता है जो इस समय अपने अंतिम पड़ाव पर है. अंबिया बाहर के संतरा की मांग देश में ही नहीं, बल्कि कई देशों में है. पिछले मौसम में अकेले बांग्लादेश ने ही 2.5 लाख टन संतरे का आयात किया था. सरकार किसान रेल की सहायता से संतरा सीधे बांग्लादेश भेज रही थी लेकिन इस बार माहौल ठंडा दिखाई दे रहा है. इसके अलावा दुबई और बहरीन को भी नागपुर का संतरा भेजा जाता था. अंबिया बाहर को खत्म होने में अब केवल कुछ ही दिन शेष है, अब तक मात्र 1.5 लाख टन ही संतरे का निर्यात हो पाया है. बहरीन और दुबई से 240 टन संतरे की मांग है पर हम उसकी आपूर्ति करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं.  घरेलू बाजार में भी मांग कम होने से इस बार विदर्भ के संतरा उत्पादकों पर दोहरी मार पड़ी है.

निर्यात कम होने की वजह

महाऑरेज कंपनी के प्रबंध संचालक श्रीधरराव ठाकरे ने बताया कि इस बार लंबी चली बारिश ने संतरों को काफी नुकसान पहुंचाया है. बारिश की वजह से लगभग 50 प्रतिशत संतरा गल कर नष्ट हो गया जो कुछ बचा था उसमें से आधे को फंगस ने अपना शिकार बनाया. इताना ही नहीं इन सब प्रतिकूल मौसम ने संतरे की मिठास भी छीन ली.  बांग्लादेश जो सबसे बड़ा आयातक है वहां एक्ससाइज ड्यूटी में काफी वृद्धि कर दी गई. केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के प्रयासों के बावजूद बांग्लादेश ने एक्ससाइज दर कम नहीं किया. जिस स्टेशन पर ट्रेन रुकना था वहा माल धक्के की दिक्कत होने से ज्यादा बोगी नहीं भेज पाएं. हालांकि गडकरी के प्रयासों से रेलवे में किसानों को सब्सिडी दी गई.

दक्षिणी राज्यों में भी मांग कम

उन्होंने बताया कि देश में दक्षिण भारत एक बहुत बड़ा बाजार है लेकिन इस बार दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों में लगातार बारिश होती रही, जिसके कारण बाजार खुल नहीं पाया. नतीजतन यहां से संतरा भेजना मुश्किल हो गया. दक्षिणी राज्यों में औसत से काफी कम माल भेजा जा सका. इसके कारण भी संतरे को उचित भाव नहीं मिल पा रहा है. बाजार खुलता तो निश्चित रूप से किसानों को लाभ होता परंतु ऐसा हो नहीं सका. 

गुणवत्ता और निर्यात पर काम शुरू

सह्याद्री फर्म नाशिक सब्जियों और फलों की एक बड़ी कंपनी है. जिसका साल का टर्नओवर हजार करोड़ के ऊपर है. महाऑरेज ने सह्याद्री फर्म से विदर्भ के संतरों की पैदावार और निर्यात बढ़ाने हेतु एक कार्य योजना तैयार की है. स्पेन के संतरों की प्रजाति को अब विदर्भ में आजमाया जाएगा. स्पेन में संतरों की प्रति हेक्टर पैदावार 60 से 70 टन है, वहीं विदर्भ में मात्र 5 से 7 टन है. इस करार का लाभ भी आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा.