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नागपुर. सिटी में कोरोना संक्रमितों के आंकड़े तेज से बढते जा रहे है. कोरोना प्रकोप के कारण लाकडाउन ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. हर कोई नागरिक आर्थिंक तंगी से जूझ रहा है. देश के साथ विश्व में चल रही महामारी के दौर में सभी को साथ लेकर चलने के बजाए. कई छोटी बड़ी संस्थान आनी जेबे भरने के लिए आम नागरिक को लूटने पर उतारू हो गई है. अब अधिकतर संस्थानों ने कोविड प्रोटेक्शन की आड़ में ग्राहकों को लूटना शुरू कर दिया है. अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए संस्थाने ग्राहकों से मनमाना पैसा वसुल रही है. इसमें कई निजी अस्पताल, कार सर्विस सेन्टर, मोबाईल शोरूम, मेडिकल स्टोरस् जैसे अनगिनत निजी संस्थानों के नाम है. प्रशासन की कोई पाबंदी नहीं होने पर हर कोई मुनाफा कमाने के लिए कोविड प्रोटेक्शन चार्ज बील में जोड़ रहा है.

लाकडाउन में राहत देते हुए प्रशासन द्वारा नागरिकों को सुरक्षा के तौर पर सोशल डिस्टंसिंग, मास्क पहनने, सेनिटाईज करने के लिए सचेत किया जा रहा है. कोविड से बचने के लिए हर कोई नागरिक नियमित तौर पर प्रशासन के आदेश का पालन कर रहे है. इस बात को ध्यान में रखते हुए कई कम्पनियों ने कर्मचारियों को कोविड प्रोटेक्शन कीट दी है, जो की बेहद अच्छी बात है, लेकिन  उसके लिए कम्पनी हर ग्राहक से उसका मनमाना पैसा वसुल रही है. ग्राहक मजबूरी में इसका भूगतान कर रही है, लेकिन उसके ऐवज उन्हें सुरक्षा के तौर पर कुछ भी नहीं दिया जा रहा है. अस्पताल ही नहीं कार सेर्विसिंग सेन्टर में भी इस प्रकार की लूट हर दिन की जा रही है.

कोविड प्रोटेक्शन चार्ज के नाम पर सर्विंग के लिए आने वाले हर कार चालक से 200 रुपये वसुले जा रहे है. इसमें कार सर्विसिंग को देते समय कर्मचारी के लिए दस्ताने, सीट कवर, स्टेरिंग कवर और गेयर कवर लगाए जाते है. प्रोटेक्शन चार्ज लेने के बाद भी ग्राहकों को कुछ नहीं मिल रहा है. सर्विंसिंग होने के बाद गाड़ी में सुरक्षा के लिहाज से कोई सामग्री नहीं लगाई जाती है. यही हाली मोबाईल शॉप, इलेक्ट्रानिक दूकानों और कुछ आनलाइन शापिंग वेबसाईट का भी है.  

हर एक मरीज को 2,700 रुपये का फटका
अस्पताल में जाते ही मरीज के उपचार के लिए परिजनों से पीपीई कीट के नाम पर 2,700 रुपये वसूल लिये जाते है. निजी अस्पताल में इलाज कराने गए एक व्यक्ति ने बताया कि सिटी के एक निजी अस्पताल में वह हृदय उपचार संबंधित उपचार के लिए गए. अस्पताल में जाते ही भर्ती होने के बाद पहली ही बील में पीपीई कीट के 2,700 रुपये जोड़ दिये गए. मेडिकल में एक पीपीई कीट की कीमत 900 रुपये के करीब है. उपचार के पहले डाक्टर, नर्स और अटेंडन्ट को पीपीई कीट लाकर देना पड़ता है. ऐसा केवल एक मरीज ने नहीं बल्कि अस्पताल में आने वाले हर एक को 3 पीपीई कीट का पैसा देना अनिवार्य है.

अस्पताल में इलाज के लिये हर दिन सैकड़ों की तादाद में लोगों का आना जाना लगा रहता है. वहीं कुछ अस्पताल में तो मरीजों से सेनिटाईजर और मास्क का भी पैसे वसूले जाने की चर्चा है. गौर करने की बात तो यह है कि अस्पताल में नाम के हिसाब से भी कोविड प्रोटेक्शन का चार्ज अलग-अलग है. प्रति कीट 900 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक वसूला जा रहा है. ऐसा कर आम नागरिकों को लूटा जा रहा है, लेकिन इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है.

अपनी जेबे भरने में लगी संस्थाए
संस्थान अपने कर्मचारियों की सुरक्षा का पूरी तरह ध्यान रख रही है, यह बेहद अच्छी बात है. कोरोना वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति को छुने और उसके संपर्क में आने से होता है. सिटी मे ऐसे कई मरीज है जो कि इस बीमारी से जूझ रहे है. ऐसे में सुरक्षा का ध्यान रखना बेहद अहम है, लेकिन खुद के संस्थान में काम करने वाले कर्मचारी की सुरक्षा के लिए ग्राहकों पर आर्थिंक दबाव डाला जा रहा है. अस्पताल में डाक्टर व नर्स को लगने वाली पीपीई कीट एक दिन तक उपयोग की जा सकती है. ऐसे में हर मरीज से पीपीई कीट का चार्ज वसूला जाना यह कहा का न्याय है ऐसा सवाल नागरिकों द्वारा पुछा जा रहा है.

केवल निजी अस्पताल ही नहीं बल्कि हर कोई संस्थान जहां लोगों का आनाजाना लगा रहता है, वहां सभी ग्राहकों से कोविड प्रोटेक्शन कीट का पैसा लिया जा रहा है, जब की डाक्टर हो या कर्मचारी एक दिन एक ही कीट उपयोग करता है. इससे साफ होता है कि कोविड प्रोटेक्शन चार्ज के नाम पर संस्थान अपनी जेबे भरे में लगी हुई है. अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए संस्था को अपनी ओर से कीट और सुरक्षा की सामग्री उपलब्ध करवाई जानी चाहिए. साथ ही प्रशासन का इसपर कोई नियंत्रण नहीं होने के कारण यह गोरख धंदा तेजी से बढते जा रहा है और आम नागरिक की आर्थिक परिस्थिति बिगड़ती जा रही है.