मनपा के बैंक में GST घोटाला, कम्प्यूटर कर्ज के नाम पर हुई भारी धांधली

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    नागपुर. मनपा की तरह घोटालों को लेकर नागपुर महानगरपालिका कर्मचारी सहकारी बैंक भी कई बार चर्चाओं में रही है. अब पुन: कम्प्यूटर कर्ज के नाम पर सदस्यों को दिए जाने वाले कर्ज में जीएसटी घोटाला होने का मामला उजागर हुआ है. यहां तक कि इस मामले की सघन जांच करने के लिए केंद्र के सहकार और राज्य के सहकार विभाग के अलावा जीएसटी विभाग को भी शिकायत की गई है जिससे अब जांच होने की संभावना के चलते बैंक के संचालक मंडल में खलबली मची होने की जानकारी सूत्रों ने दी.

    सूत्रों के अनुसार बैंक के माध्यम से अलग-अलग कारणों के लिए सदस्यों को कर्ज दिया जाता है. कर्ज पाने के लिए ठोस कारण होने से कम्प्यूटर के नाम पर कर्ज देने की प्रक्रिया शुरू की गई. सोची-समझी साजिश के तहत कम्प्यूटर के कोटेशन केवल चुनिंदा दूकानों से लेकर ही कर्ज के आवेदन मंजूर करने की प्रक्रिया अपनाई गई.

    बंद कम्पनी के जीएसटी नंबर से वसूली

    सूत्रों के अनुसार इस तरह का मामला उजागर होने के बाद संचालक मंडल की बैठक में संचालक राजेश गवरे द्वारा ऑडिटर का ध्यानाकर्षित किया गया. ऑडिटर की ओर से इस पर संज्ञान लिए जाने तथा इस संदर्भ की रिपोर्ट की रिजर्व बैंक द्वारा जांच किए जाने का जवाब देकर टालमटोल की गई. घोटाले को जानबूझकर हलके में लिए जाने के संकेत मिलते ही इसकी शिकायत की गई. शिकायत करने वाले संचालक का मानना था कि कम्प्यूटर के कोटेशन देने के लिए सर्वप्रथम एक कम्पनी तैयार की गई जिसके लिए जीएसटी नंबर लिया गया. जीएसटी नंबर लेने के बाद कम्पनी को बंद कर दिया गया. कम्पनी बंद होने के बाद उसके नाम पर जीएसटी की वसूली नहीं हो सकती थी, किंतु जानबूझकर कर्ज के लिए इसी कम्पनी से कोटेशन लेकर जीएसटी के नाम पर सदस्यों से लूट होती रही है. कोटेशन को 50,000 के नीचे रखने के लिए 43,000 रु. की कम्प्यूटर सामग्री तथा उस पर 3,800 रु. केंद्र का जीएसटी और 3,800 रु. राज्य का जीएसटी मिलाकर 49,000 रु. के कर्ज देने को मंजूरी दी जाती थी. 

    कहां जा रहा है टैक्स

    बैंक के संचालक राजेश गवरे ने कहा कि जिस कम्पनी से कोटेशन दिए जा रहे हैं वह कम्पनी ही बंद है. ऐसे में जीएसटी कहां जा रहा है, यह खोज का विषय है. कर्ज लेने वाले सदस्य को जीएसटी काटकर ही रकम दी जा रही है. प्रक्रिया के अनुसार जिस कम्पनी का कोटेशन मंजूर किया गया उसके द्वारा सदस्य को कम्प्यूटर देना है. इसके बाद बैंक की ओर से कम्पनी को भुगतान करना है लेकिन कम्पनी ही बंद है तो फिर भुगतान किसे हो रहा है. इस तरह के कई सवाल होने से पूरी जांच के लिए केंद्र और राज्य सरकार से शिकायत की गई है. जल्द ही सरकार की ओर से इस पर सकारात्मक निर्णय होने की आशा भी उन्होंने जताई.