एक ही एग्जिट गेट कर रहा हलाकान; वाहन चालकों की मुसीबत बना स्टेशन परिसर

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    नागपुर. स्टेशन के री-डेवलपमेंट का काम शुरू हो चुका है. आगामी समय में स्टेशन परिसर में अपने रिश्तेदारों को पहुंचाने आये वाहन चालकों और ड्यूटी के लिए पहुंचे रेलकर्मियों की कितनी परेशानी होने वाली इसकी झलक दिखाई देने लगी है. वास्तव में स्टेशन के पश्चिमी भाग में एक ही निकासी द्वार होने से दोपहिया और चौपहिया वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सबसे अधिक परेशानी मुंबई छोर पर बने एस्कलेटर वाले हिस्से में हो रही है. वजह यहां बनी स्टाफ और रेलवे सुरक्षा बल की पार्किंग और वाहनों के निकलने के लिए मुख्य निकासी द्वार. 

    वाहनों का जमावड़ा

    उल्लेखनीय है कि आरपीएफ थाने के पास 3 स्टाफ पार्किंग है. इसमें पहले पूर्व जनरल टिकट काउंटर के ठीक सामने, दूसरी आरपीएफ पार्किंग और तीसरी ओपन वेटिंग हॉल से लगी दूसरी स्टाफ पार्किंग. मुश्किल से 50 मीटर के दायरे में हर दिन 500 से अधिक दोपाहिया वाहन यहां खड़े रहते हैं या उनकी आवाजाही चलती रहती है. अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतनी छोटी से जगह में वाहनों का जमावड़ा किस प्रकार होता होगा. 

    एस्केलेटर भी बंद

    सबसे बड़ी परेशानी उन यात्रियों को और उनके कारण होती है जो ओपन वेटिंग हॉल से लगे एस्केलेटर से चढ़ने के लिए यहां आते हैं. यात्री अपना लगेज ढोते या घसीटते हुए एस्केलेटर के पास पहुंचते है. यहां आते ही नजर आता है कि एस्केलेटर बंद है और वहीं खड़े रहने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं रहता क्योंकि अब उन्हें सीढ़ियां चढ़कर एफओबी पर पहुंचाना होगा. इस बीच पार्किंग से निकले दोपहिया वाहनों का जमावड़ा लग जाता है. 

    रेल नीर के वाहनों पास रास्ता नहीं

    दूसरी सबसे अधिक परेशानी तब भी होती है जब रेल नीर पहुंचाने आये मिनी ट्रक यहां आते हैं. ये ट्रक आरपीएफ थाने और पहली स्टाफ पार्किंग के संकरे रास्ते से एस्केलेटर के पास पहुंचते हैं. माल डम्प करने के बाद इन ट्रकों को रिवर्स गियर में ही बाइक पैकिंजिंग कार्नर तक ले जाना पड़ता है क्योंकि सीधे बाहर निकनले वाला रास्ता बंद करके रखा गया है. इस दौरान वाहनों का जमावड़ा तब और अधिक हो जाता है जब संकरे रास्ते पर आरपीएफ अधिकारी का सरकारी चौपहिया वाहन खड़ा हो. आधा रास्ता को यह वाहन ही घेर लेता है. इससे दोनों तरफ से आने दोपहिया वाहन चालकों को भारी परेशानी होती है. 

    एक गेट से हल हो जायेगी परेशानी

    उल्लेखनीय है कि परिसर के इस हिस्से में एक निकासी रास्ता बना हुआ है लेकिन बाहरी ऑटोरिक्शा चालकों के कारण इस पर ताला लगाकर रखा गया है. हालांकि यहां लगा ताला ऑटोचालकों पर बेअसर है क्योंकि वे एक छोटे से गेट से बिना किसी डर के परिसर में आना-जाना कर रहे हैं. यदि दोपहिया वाहन चालकों के लिए दूसर छोटा गेट भी खोल दिया जाये तो सारी परेशानी ही समाप्त हो जायेगी क्योंकि परिसर से बाहर जाने के लिए उन्हें मुख्य निकासी द्वार की ओर जाना ही नहीं पड़ेगा. पार्किंग से मात्र 10 से 20 मीटर की दूरी पर बना यह गेट तत्काल प्रभाव से खोलकर एक बड़ी समस्या हल की जा सकती है.