Nagpur High Court
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नागपुर. करिअर एडवांसमेंट स्कीम के तहत योग्यता होने के बावजूद लाभ नहीं दिए जाने के कारण डॉ. सुरेश मिलमिले ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने 25 सितंबर 2020 को ही तमाम प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए थे. नोटिस जारी होने के बाद भी गोंडवाना यूनिवर्सिटी की ओर से उपस्थिति दर्ज नहीं किए जाने को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट ने जमानती वारंट जारी किया था. तकनीकी कारणों से जमानती वारंट तामिल नहीं होने का खुलासा होते ही अब न्यायाधीश रोहित देव और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने फिर एक बार रजिस्ट्रार के खिलाफ 1 लाख रुपए का जमानती वारंट जारी किया है. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. भानुदास कुलकर्णी ने पैरवी की.

3 वर्षों तक नहीं दिया जवाब

उल्लेखनीय है कि 25 सितंबर 2020 को अन्य प्रतिवादियों के साथ ही यूनिवर्सिटी को भी नोटिस जारी किया गया किंतु 3 वर्षों तक यूनिवर्सिटी की ओर से न तो कोई जवाब दिया गया और न ही उपस्थिति दर्ज कराई गई जिससे अदालत ने 6 अप्रैल 2023 को भी इसी तरह से एक लाख रुपए का जमानती वारंट रजिस्ट्रार के नाम जारी किया था. नियमों के अनुसार गड़चिरोली के प्रधान जिला सत्र न्यायाधीश के माध्यम से यह तामिल होना था किंतु जमानती वारंट वापस आ गया था. इस संदर्भ में सत्र न्यायाधीश ने बताया कि उन्हें आदेश काफी देर से मिला. 

जांच करें रजिस्ट्रार

जिला सत्र न्यायाधीश द्वारा उजागर की गई जानकारी पर अदालत ने गंभीरता जताते हुए सत्र न्यायाधीश को आदेश देरी से क्यों मिला? इसकी जांच करने के आदेश हाई कोर्ट रजिस्ट्रार (न्यायिक) को दिए. साथ ही 16 जून को गोंडवाना यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार की हाई कोर्ट में उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए 1 लाख रुपए का जमानती वारंट भी जारी किया. उल्लेखनीय है कि करिअर एडवांसमेंट स्कीम  के तहत लाभ देने के लिए यूनिवर्सिटी की ओर से ही चयन समिति का गठन किया जाता है. चयन समिति की सिफारिशों के अनुसार संबंधितों के नामों पर यूनिवर्सिटी मंजूरी देती है किंतु इस मामले में उसके द्वारा अन्याय होने का हवाला याचिका में दिया गया.