Nagpur High Court
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नागपुर. बिना अनुमति स्कूल शुरू किए जाने को लेकर शिक्षा विभाग की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. जिसे लेकर अब सिख एजुकेशन सोसाइटी की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद अदालत ने स्कूल को मंजूरी के लिए पुणे स्थित शिक्षा संचालक तथा नागपुर विभागीय उपसंचालक के पास आवेदन करने के आदेश दिए थे. हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार आवेदन तो किया गया, किंतु इस संदर्भ में जल्द निर्णय करने के आदेश देने का अनुरोध कर पुन: हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदुरकर और न्यायाधीश एम.डब्ल्यू. चांदवानी ने राज्य के शिक्षा सचिव, शिक्षा संचालक, उपसंचालक तथा जिला परिषद के प्राथमिक शिक्षा विभाग के शिक्षणाधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. मनीष शुक्ला, अधि. नीतेश समुंद्रे और सरकार की ओर से इंचार्ज मुख्य सरकारी वकील आनंद देशपांडे ने पैरवी की.

कारण बताओ नोटिस का क्या हुआ, जानना जरूरी

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि स्कूल जल्द शुरू करने के लिए आवेदन किया है. आदेशों के अनुसार 20 सितंबर 2022 को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस का पालन किए जाने के बाद इस संदर्भ में विचार किया जाना है. जिला परिषद के प्राथमिक शिक्षणाधिकारी की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. 6 अक्टूबर 2022 को ही याचिकाकर्ता की ओर से इसका जवाब भेजा गया है जिससे अब किए गए आवेदन पर जल्द निर्णय करने के आदेश देने का अनुरोध अदालत से किया गया. अदालत ने आदेश में कहा कि प्राथमिक स्तर पर कारण बताओ नोटिस पर क्या निर्णय हुआ है, यह जानना जरूरी है जिसके बाद ही अनुरोध पर विचार किया जा सकता है.

जोखिम में डाल दिया छात्रों का करिअर

गत समय अदालत ने आदेश में कहा कि शिक्षा विभाग के संचालक तथा उपसंचालक की अनुमति के बिना स्कूल शुरू कर याचिकाकर्ता ने गंभीर अनियमितता की है. इस तरह से याचिकाकर्ता ने स्कूल में प्रवेश ले चुके छात्रों का करिअर जोखिम में डाल दिया. न केवल छात्रों का करिअर खतरे में आ गया, बल्कि इन छात्रों को पढ़ा रहे उनके पालकों का भी वित्तीय नुकसान हो गया है. अदालत ने आदेश में कहा कि ऐसे मामले में कम से कम यह आशा की जा सकती है कि स्कूल को मंजूरी प्राप्त करने के लिए संस्था की ओर से ठोस कदम उठाए जाने चाहिए. स्वयं वित्तीय सहायता के तहत स्कूल का संचालन करने के लिए अथॉरिटी से मंजूरी प्राप्त की जानी चाहिए थी.