Nagpur High Court
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नागपुर. जमीन अधिग्रहण के बाद मुआवजे के लिए लगभग 2 दशकों से मामला नहीं सुलझने के कारण अंतत: मुरलीधर स्वामी देवस्थान पंच कमेटी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को उस समय हाई कोर्ट की नाराजगी झेलनी पड़ी जब अधिकारियों की लापरवाही पर अदालत ने कड़े शब्दों में प्रहार किया. अदालत ने आदेश में कहा कि राज्य सरकार के कुछ सनकी और घोड़े पर सवार अधिकारियों के चलते पब्लिक ट्रस्ट को भी न्याय के लिए 2 दशकों से यहां-वहां भटकना पड़ रहा है. अदालत ने इस संदर्भ में राजस्व व वन विभाग के प्रधान सचिव को संज्ञान लेकर कार्यवाही करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की अधि. पीएस सदावर्ते और राज्य सरकार की अति. सरकारी वकील एसएम उके ने पैरवी की.

30 वर्ष पूर्व जमीन का अधिग्रहण

आदेश में अदालत ने कहा कि देवस्थान की 5.04 हेक्टेयर भूमि 25 मार्च 1991 को अधिग्रहित की गई. रजिस्टर्ड ट्रस्ट होने के कारण याचिकाकर्ता मुआवजे की हकदार है. मुआवजे के लिए राज्य सरकार के कई अधिकारियों के पास गुहार लगाने के बाद भी उन्हें मुआवजा नहीं मिल पाया है. 10 दिसंबर 2001 को उप धर्मदाय आयुक्त की ओर से एक आदेश जारी किया गया जिसके अनुसार देवस्थान को मुआवजा मिल जाना चाहिए था लेकिन अधिकारियों ने उप धर्मदाय आयुक्त के आदेशों को भी कचरे की टोकरी में फेंक दिया. यहां तक कि आयुक्त द्वारा आदेश देने के 10 वर्ष बाद 19 जुलाई 2011 को उप जिलाधिकारी (भूमि अधिग्रहण) ने जिला सत्र न्यायाधीश को पत्र भेजा गया.

निजी बही-खाते में रखी निधि

अदालत ने आदेश में कहा कि जिलाधिकारी की यह जिम्मेदारी होती है कि यदि मुआवजे के हकदार को लेकर कोई विवाद भी हो तो संबंधित निधि संबंधित कोर्ट में जमा कर देनी चाहिए लेकिन आश्चर्यजनक यह है कि अधिकारियों ने यह निधि कोर्ट में तो जमा नहीं की अलबत्ता निजी बही-खाते में जमा रखी. सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित अधिकारी के हवाले से सरकारी वकील ने बताया कि चूंकि संबंधित कोर्ट में राशि जमा नहीं हुई है, अत: उसका ब्याज भी तय नहीं है. अदालत ने आदेश में कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों की इस तरह की बेतरतीब और गैरजिम्मेदाराना कार्यप्रणाली के चलते ही हजारों और लाखों मामले विवादित होकर न्यायदान की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं. अत: राजस्व व वन विभाग के प्रधान सचिव को तुरंत इस मसले पर कदम उठाकर उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए. मुआवजे की राशि तुरंत प्रभाव से संबंधित कोर्ट में ब्याज सहित जमा करने के भी आदेश दिए.