नागपुर. सिटी की कई स्कूलों में भारी भरकम फीस वसूली जा रही है लेकिन उस स्तर पर स्कूलों का रखरखाव आदि नहीं हो रहा है. यहां तक कि फीस वृद्धि का कोई तर्क नहीं है. इन तमाम मुद्दों को लेकर संदीप अग्रवाल की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. इस पर बुधवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश एम.डब्ल्यू. चांदवानी ने कहा कि इस तरह के मसले को उठाने के लिए विकल्प उपलब्ध है.
अत: सर्वप्रथम संबंधित प्राधिकरणों के पास मामले को रखा जाना चाहिए. भले ही याचिकाकर्ता का उद्देश्य बड़ी मात्रा में सार्वजनिक हितों का हो लेकिन इस तरह के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक पद्धति है. संबंधित प्राधिकरण के समक्ष पूरी प्रक्रिया के साथ अपना मसला रखा जाना चाहिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. राधिका रास्कर और सरकार की ओर से अति. सरकारी वकील डी.पी. ठाकरे ने पैरवी की.
वास्तविक घटनाओं का उल्लेख नहीं
बुधवार को सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि इस तरह से कुछ स्कूलों द्वारा फीस वसूलने का मामला स्वीकार नहीं किया जा सकता है जबकि ऐसी स्कूलों को प्रतिवादी के रूप में याचिका में शामिल नहीं किया गया है. यदि किसी बच्चे से अधिक फीस वसूली जा रही है तो संबंधित व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से याचिका दायर कर सकता है.
याचिकाकर्ता की ओर से स्वयं को विदर्भ पेरेंट्स एसोसिएशन का अध्यक्ष बताया जा रहा है लेकिन याचिकाओं में विभिन्न स्कूलों में वसूली जा रही अधिक फीस की घटनाओं को लेकर वास्तविक जानकारी उजागर नहीं की जा रही है. याचिकाकर्ता की ओर से सूचना के अधिकार के तहत कुछ जानकारी मांगी गई है. जानकारी प्राप्त करने के लिए इस जनहित याचिका का उपयोग किया जा रहा है.
जन सेवा या न्याय के लिए हो याचिका
अदालत ने आदेश में कहा कि जनहित याचिका का उद्देश्य विभिन्न प्राधिकरणों से जानकारी प्राप्त करने के लिए नहीं होना चाहिए. जनहित याचिका का उद्देश्य जन सेवा या फिर बड़ी मात्रा में लोगों को न्याय दिलाने या अन्याय के खिलाफ लड़ने का होना चाहिए. जनहित याचिका का उद्देश्य किसी प्राधिकरण पर दबाव डालने का नहीं होना चाहिए. याचिकाकर्ता के पास इस समस्या को सुलझाने के लिए विकल्प है. सर्वप्रथम राज्य सरकार के पास अपनी समस्या रखी जानी चाहिए. जिसका कारगर तरीके से उपयोग नहीं किया गया है. इस मसले को लेकर अब तक जो भी ज्ञापन दिए गए वे सभी सामान्य तरह के है. जिससे उद्देश्य सफल नहीं हो सकता है.