Nagpur High Court
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    नागपुर. सरकारी निधि खर्च कर स्थानीय लोगों के उपयोग के लिए समाज मंदिर का निर्माण तो कराया गया लेकिन समाज मंदिर पर वासुदेव बरघाटे ने अवैध रूप से कब्जा किया है जिससे समाज मंदिर का सार्वजनिक उपयोग नहीं हो पा रहा है. इस तरह की कई दलीलों को लेकर किशोर परतेती ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की.

    सुनवाई के दौरान अब समाज मंदिर आम जनता के उपयोग के लिए खुला किए जाने तथा समाज मंदिर में रखी गई भगवान बुद्ध और डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर की मूर्तियों को वहां से हटाए जाने की जानकारी दिए जाने के बाद याचिका का उद्देश्य पूरा होने का हवाला देते हुए न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश जीए सानप ने याचिका का निपटारा कर दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. आयुषी डांगरे और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील केतकी जोशी ने पैरवी की.

    ग्राम पंचायत से मंजूरी लेना टेढ़ी खीर

    हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार एसडीओ की ओर से रिपोर्ट पेश की गई जिसमें बताया गया कि गांव वालों के उपयोग के लिए समाज मंदिर खुला कर दिया गया है. इसके बावजूद समाज मंदिर के उपयोग को लेकर याचिकाकर्ता ने कुछ आपत्तियां दर्ज कीं. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि पुलिस पाटिल के पास से समाज मंदिर के दरवाजे की चाबियां ग्राम पंचायत के हवाले हुई हैं. याचिकाकर्ता या फिर आम जनता को ग्राम पंचायत से समाज भवन के उपयोग की मंजूरी लेना टेढ़ी खीर है. याचिकाकर्ता की इन दलीलों पर अदालत ने समाज मंदिर का उपयोग करने के लिए रोके जाने का कम से कम एक मामला प्रस्तुत करने के आदेश याचिकाकर्ता को दिए. 

    ग्राम पंचायत ने पारित किया था प्रस्ताव

    याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि इन मूर्तियों को हटाने के लिए स्वयं ग्राम पंचायत ने भी सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था. किसी निजी व्यक्ति द्वारा इन मूर्तियों को यहां रखा गया था. इन मूर्तियों को यहां से हटाने के आदेश देने का अनुरोध भी याचिकाकर्ता ने याचिका में किया गया. अत: अदालत ने ग्राम पंचायत को स्वयं के प्रस्ताव पर अमल करने के आदेश दिए थे जिसके अनुसार अब मूर्तियों को हटा दिया गया है.