Nagpur High Court
File Photo

Loading

नागपुर. रेल लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण पर आपत्ति जताते हुए दायर याचिका पर हाई कोर्ट की ओर से नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए गए थे. पर्याप्त समय दिए जाने के बाद भी जवाब दायर नहीं किए जाने पर अब न्यायाधीश अतुल चांदुरकर और न्यायाधीश एम. डब्ल्यू. चांदवानी ने राज्य सरकार, रेल विभाग, भूमि अधिग्रहण अधिकारी को जवाब दायर करने का अंतिम मौका प्रदान किया. अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि यदि प्रतिवादियों की ओर से जवाब दायर नहीं किया गया तो याचिका में जताई गई आपत्ति के आधार पर सुनवाई की जाएगी. राज्य सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील ए.ए. माडीवाले ने पैरवी की.

गैर कृषि उपयोग की दी थी अनुमति

याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में बताया गया कि 22 अप्रैल, 2010 को एक आदेश जारी किया गया था जिसके अनुसार याचिकाकर्ता के मालकियत की 0.50 हेक्टेयर भूमि को गैर कृषि के लिए उपयोग करने की अनुमति प्रदान की गई थी. 0.34 हेक्टेयर भूमि रेलवे लाइन के लिए रेल अधिकारियों के हवाले से अधिग्रहित की गई थी. कुछ समय पश्चात रेल अधिकारियों को बची 0.16 हेक्येटर भूमि की भी आवश्यकता पड़ गई. इस वजह से यह भूमि भी प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई.

अधिग्रहण के बिना अधिकार

याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में बताया गया कि 0.16 भूमि की आवश्यकता पड़ने पर प्रशासन को नियमों के अनुसार इसके अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए थी किंतु बिना अधिग्रहण इस जमीन को अपने अधिकार में लिया गया. 22 अप्रैल, 2010 को एसडीओ की ओर से बिना अधिकार इस संदर्भ में आदेश भी जारी कर दिया गया जबकि जमीन कब्जे में लेने के लिए 14 दिसंबर, 2022 को अलग से दूसरा आदेश भी जारी किया गया. याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया था किंतु लंबा समय बीत जाने के बाद भी जवाब दायर नहीं किया गया. अब कड़ा रुख अपनाते हुए अदालत ने अंतिम मौका प्रदान किया है. अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया था कि भले ही जमीन प्राप्त करने के लिए प्रशासन द्वारा कार्यवाही की जा रही है लेकिन पूरी प्रक्रिया अदालत के आदेश के अधीन होगी.