Citizens troubled by bad settlements, mud, dirt in division 3

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नागपुर. नागपुर शहर के कुछ भागों में अच्छी खासी डामर सड़कों को उखाड़कर उनका सीमेंटीकरण किया जा रहा है. अच्छे से लगे आई ब्लॉक को उखाड़कर फिर से नए चमचमाते आई ब्लॉक लगाए जा रहे हैं लेकिन मनपा के सीमावर्ती इलाके केवल मुरुम से समतलीकरण कार्य तक को मोहताज हैं.  इसके खिलाफ नागरिकों में भारी असंतोष पनप रहा है. विकास कार्य पहले से विकसित इलाकों में सिमट कर रह गया है. इन मार्गों पर बार-बार राशि मंजूर कर सौंदर्यीकरण जारी है तो दूसरी ओर कुछ क्षेत्रों में नागरिकों को रोजाना कीचड़, पानी और गंदगी से होकर आवागमन करना पड़ रहा है. ऐन बरसात के समय परिस्थितियां हर साल की तरह विकट हो गई हैं.

विकास कार्य में असंतुलन के कई उदाहरण मौजूद हैं. शहर के सबसे पॉश माने जाने वाले सिविल लाइन्स, धरमपेठ, रामनगर, शिवाजी नगर, शंकर नगर, बजाज नगर, रामदासपेठ, धंतोली, सदर, छावनी, राजनगर, वैशाली नगर, जरीपटका, इंदोरा चौक पर लघुवेतन कॉलोनी, महल, वर्धमान नगर, फ्रेंड्स कॉलोनी, मेडिकल चौक, मानेवाड़ा रोड सहित शहर के कई इलाकों की बस्तियों में अच्छे रास्ते होने पर भी विद्यमान मार्ग को उखाड़कर सीमेंटीकरण किया गया है. कई इलाकों में फुटपाथ से पुराने ब्लॉक्स को उखाड़कर नए ब्लॉक लगाए गए हैं. 

दूसरी ओर शहर की 40 साल पुरानी से लेकर हाल ही में अस्तित्व में आई बस्तियों में लोग प्राथमिक सुविधाओं से वंचित हैं. खासकर उत्तर नागपुर में नारा, नारी रोड की बहुत सारी बस्तियों में गांवों से भी बुरे हाल हैं. इनमें रहने वाले नागरिकों की अवस्था दयनीय है. ऐसी बस्तियों में जरीपटका से नारा रोड की कई बस्तियां, नारी इलाके की कई बस्तियां, दीपक नगर, यशोधरा नगर इलाके का वनदेवी नगर, पीली नदी के इर्द-गिर्द कई बस्तियां, वांजरा-वांजरी, पूर्व में कलमना के भरत नगर इलाके की कई बस्तियां, भांडेवाड़ी व वाठोड़ा, हुड़केश्वर रोड, बेसा ग्राम पंचायत के अंतर्गत कई बस्तियां शामिल हैं. 

ग्राम पंचायतें विकास से पल्ला झाड़ रहीं
घर की जरूरत के आगे कई नागरिकों ने लेआउट विक्रेताओं से भूखंड खरीदी कर ली है. नागरिक जब भूखंड खरीदने जाते हैं तो लेआउट विक्रेता उन्हें कई झूठे वादे कर देते हैं. लेकिन नागरिक जब भूखंड लेकर घर बना लेते हैं तब उन पर मुसीबतों के पहाड़ टूट पड़ते हैं. नागपुर मनपा की सीमाओं से लगे हजारों लेआउटों पर धोखाधड़ी के शिकार लाखों नागरिक मजबूरी में जी रहे हैं. लेआउट विक्रेता गायब हो चुके हैं, जबकि स्थानीय ग्राम पंचायतें सुविधाएं देने से पल्ला झाड़ रही हैं. ऐसे नागरिक अब भी बिजली, पानी, रोड जैसी प्राथमिक सुविधाओं से वंचित हैं.