Nitin Gadkari, Bawankule

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    नागपुर. अपने बेबाक बयानों के लिए मशहूर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने प्रदेश बीजेपी के नए अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को लेकर एक अहम घोषणा की है. उन्होंने कहा कि भविष्य में प्रदेश अध्यक्ष ही राज्य का सीएम बनता है. गडकरी ने यह बात शनिवार को नागपुर में  बावनकुले के सम्मान में आयोजित समारोह में कही.

    इस मौके पर डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडणवीस समेत इस अवसर पर सांसद रामदास तडस, अजय संचेती, विधायक प्रवीण दटके, कृष्णा खोपड़े, विकास कुंभारे, रामदास आंबटकर, डॉ. राजीव पोतदार, जिलाध्यक्ष अरविंद गजभिये समेत शहर भाजपा के अन्य पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही. गडकरी ने कहा कि अगर फडणवीस दिल्ली की राजनीति का रुख करते हैं तो बावनकुले का सीएम बनने का मौका दिया जाएगा. हालांकि गडकरी के इस बयान का  फडणवीस ने मुस्कुरा कर जवाब दिया.

    ऑटो रिक्शा ड्राइवर बना प्रदेश अध्यक्ष

    इस मौके पर गडकरी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी, मां-बेटे की पार्टी नहीं है. यहां हर काम करने वाले छोटे लोगों को भी बड़े मौके मिलते हैं. बावनकुले कभी ऑटो रिक्शा चलाते थे लेकिन आज उनकी मेहनत को देखते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है. गडकरी ने कहा कि बावनकुले ने बिना किसी पद की लालसा के हमेशा से लोगों के लिए काम किया है. यही वजह है कि आज उनकी योग्यता को देखते हुए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. उन्होंने विश्वास जताया कि बावनकुले प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर राज्य में पार्टी को और मजबूत करने में अपना अहम योगदान देंगे. बावनकुले को गडकरी का बेहद करीबी नेता माना जाता है.

    अपने बच्चों के लिए टिकट न मांगे

    गडकरी ने कहा कि हमारी पार्टी मां-बेटे की पार्टी नहीं है.  यहां सबसे पहले कार्यकर्ता को प्राथमिकता दी जाती है. उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं को अपने बच्चों के लिए टिकट नहीं मांगनी चाहिए. अगर ऐसा कोई करता है तो मैं इसका पुरजोर विरोध करूंगा. भाजपा में वंशवाद से नहीं बल्कि जनता तय करेगी कि किसे टिकट दिया जाये और किसे नहीं. 

    देवेंद्र ने अपने दम पर बनाई जगह

    केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि मैं देवेंद्र फडणवीस के पिता के नेतृत्व में काम कर चुका हूं. उन्होंने कहा कि मैं एक बार गंगाधरराव फडणवीस को देखने गया था जब वे बीमार थे. मैंने उनसे कहा कि आपकी हालत अभी अच्छी नहीं है. ऐसे में देवेंद्र को एक मौका दें. उन्होंने कहा कि मुझे कोई समस्या नहीं है, आप देवेंद्र से बात करें. इसके बाद देवेंद्र राजनीति में आए. लेकिन उन्होंने अपने पिता के नाम पर नहीं, बल्कि अपने दम पर पार्षद, विधायक, विपक्ष के नेता और मुख्यमंत्री भी बने.