mask-2020
File Photo

    Loading

    • ऑक्सीमीटर, जिंक टैबलेट, इम्यूनिटी बूस्टर की बिक्री टोटल बंद
    • इक्का-दुक्का कर रहे सैनिटाइर का इस्तेमाल
    • कोरोना बचाव से संबंधित उत्पादों की बिक्री 70 फीसदी घटी
    • रेमडेसिविर हो रहे खराब
    • दवाइयों की बिक्री भी हुई कम

    नागपुर. कोरोना के मरीजों की संख्या जिले में नहीं के बराबर रह गई है. रोजाना आंकड़े दहाई अंक से नीचे ही आ रहे हैं. लोगों में डर का माहौल नहीं के बराबर रह गया है और वे बिंदास हो चुके हैं. कोरोना का खौल निश्चित रूप से कम हो चुका है. यही कारण है कि बाजार में कोरोना से संबंधित उत्पादों की बिक्री नहीं के बराबर रह गई है. अब मास्क कोई खरीद नहीं रहा है. ऑक्सीमीटर, जिंक टैबलेट, इम्यूनिटी बूस्टर उत्पादों की बिक्री अब कम होती जा रही है. पार्केट सैनिटाइटजर लोग कुछ हद तक खरीद रहे हैं लेकिन बड़े बॉटल लेने वाले मार्केट से गायब हो चुके हैं.  दवा दूकानों के सामने सैनिटाइटजर की बॉटलें रखी हुई जरूर है लेकिन मांग करने वाले महज कुछ लोग ही रह गए हैं. होटल, दूकान, रेस्टोरेंट, कार्यालयों में सैनिटाइजर की उपलब्धता अब नहीं है. कोई रोक-टोक करने वाला भी नहीं रह गया है, इलसिए लोग परवाह भी नहीं कर रहे हैं.

    मल्टीविटामिन की बिक्री 40 फीसदी

    दवा दूकानदार बताते हैं कि दूसरी लहर के बाद अब कोरोना का डर कम हो गया है. यही कारण है कि लोगों को ऑक्सीमीटर, इम्यूनिटी बूस्टर, जिंक टैबलेट की जरूरत ही नहीं पड़ रही है. कोरोना संबंधी दवाएं भी नहीं बिक रही है लेकिन 40 फीसदी लोग अब भी ऐसे हैं जो मल्टीविटामिन दवाओं का उपयोग कर रहे हैं. ये नियमित रूप से दवाएं ले रहे हैं. 

    खराब हो रहे रेमडेसिविर

    दूकानदारों ने बताया कि कभी ब्लैक में बिकने वाला रेमडेसिविर दवा अब पड़े-पड़े खराब होने की स्थिति में आ गई है. दूसरी लहर के बाद लोगों ने बड़े पैमाने पर स्टॉक जमा कर लिए थे लेकिन अब इसकी मांग बिल्कुल भी नहीं है. मरीज ही नहीं है तो खरीदी करेगा कौन. ऐसे में माल पड़ा हुआ है. सैकड़ों रेमडेसिविर का एक्सपायरी डेट भी नजदीक आ रहा है. ऐसे में इसके खराब होने का खतरा बढ़ गया है. इसका अन्य रोगों में भी इस्तेमाल नहीं होता, इसलिए बेकार सा पड़ा हुआ है.

    मास्क की बिक्री 20 फीसदी

    पूर्व में मास्क की बिक्री ताबड़तोड़ हो रही थी. हालात यह हो गए थे कि फुटपाथ से लेकर सड़कों के चौराहों तक में दूकान खुल गए थे लेकिन अब परिस्थिति बदल गई है. कई स्थानों पर दूकानें तो लगी हुई है लेकिन खरीदार गायब हो चुके हैं. मास्क को लेकर भी मानसिकता में शिथिलता आ गई है. लोग घूमने फिरने के दौरान भी मास्क का बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं कर रहे है. पहले की तुलना में महज 20 फीसदी तक बिक्री रह गई है.

    नये संक्रमित हुए कम

    पिछले 2-3 महीनों के आंकड़ों को देखे तो शहर और जिले में रोजाना औसतन 10 से भी कम कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं. यदाकदा ही संख्या 10 के ऊपर गई है. ऐसे में माहौल का सामान्य होना सहज है. जिले में टीकाकरण अभियान भी तेजी से चल रहा है. बहुतांश लोग टीका लगवा चुके हैं इसलिए भी संभव है. संक्रमण कम हुआ हो, हालांकि प्रशासन भी मुस्तैद है और सजगता से कदम उठा रहा है, जिससे स्थिति नियंत्रण में बना हुआ है.