CM Uddhav
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    नागपुर. आगामी मनपा चुनाव को देखते हुए शिवसेना नागपुर में भी अपनी पार्टी को दोबारा खड़ा करने की कवायद में जुटी है. पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने जिले की जिम्मेदारी सांसद व प्रवक्ता संजय राऊत को सौंपी है जिसके चलते पिछले दिनों वे 2-3 बार यहां का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने पार्टी के सभी पदाधिकारियों व शिवसैनिकों से प्रत्यक्ष संवाद भी साधा और सभी को एकजुटता के साथ काम करते हुए संगठन को मजबूत करने का मंत्र दिया. बावजूद इसके नये और पुराने पदाधिकारियों के गुट में आपसी खींचतान जारी है. खींचतान का यह मसला अब पार्टी प्रमुख व सीएम उद्धव ठाकरे के दरबार में जाने वाला है. जानकारी के अनुसार महानगर प्रमुख किशोर कुमेरिया का गुट ठाकरे से मिलने मुंबई जाने वाला है.

    दरअसल हाल ही में 2 महानगर प्रमुखों के कार्य क्षेत्र में बदलाव किया गया था जिससे कुमेरिया गुट असंतुष्ट बताया जा रहा है. कुमेरिया से दक्षिण नागपुर विस क्षेत्र की जिम्मेदारी छीनकर दूसरे महानगर प्रमुख प्रमोद मानमोड़े को दे दी गयी है. इसे संजय राऊत इफेक्ट बताया जा रहा है. इस निर्णय से कुमेरिया नाराज बताए जा रहे हैं. हालांकि वे खुद इस पर चुप्पी साधे हुए हैं लेकिन उनके समर्थक नाराजी जता रहे हैं. 

    दोनों को 3-3 विस क्षेत्र

    बताते चलें कि शिवसेना में नये व पुराने पदाधिकारियों को बराबर जिम्मेदारी देकर संतुलन बनाने का प्रयास राऊत ने किया. यहां से पहले नये गुट से प्रमोद मानमोड़े को महानगर प्रमुख बनाया गया था लेकिन इससे पुराने शिवसैनिक नाराज हो गए थे. उन्हें शांत करने के लिए 6 विधानसभा क्षेत्रों में से 3-3 विस क्षेत्रों के लिए 2 महानगर प्रमुख बनाए गए. मानमोड़े को पश्चिम, मध्य और दक्षिण-पश्चिम नागपुर और किशोर कुमेरिया को पूर्व, उत्तर व दक्षिण नागपुर की जिम्मेदारी दी गई थी. संजय राऊत के 3 दिवसीय नागपुर दौरे के बाद अचानक हाल ही कुमरेया से दक्षिण नागपुर छीनकर मानमोड़े को दे दी गयी और पश्चिम की जिम्मेदारी कुमेरिया को सौंप दी गई. बताया जा रहा है कि इसका कारण कुमेरिया गुट राऊत को मान रहा है. चर्चा है कि कुमेरिया दक्षिण नागपुर चाहते हैं ताकि आगामी विस चुनाव के लिए भी अपनी जमीन तैयार कर सकें. दक्षिण छिन जाने से उनके समर्थकों में असंतोष देखा जा रहा है और नये-पुराने पदाधिकारियों में खींचतान शुरू हो गई है. 

    पार्टी को हो सकता है नुकसान

    शिवसेना के आला नेता अब भाजपा के इस गढ़ में सेंध लगाने की रणनीति पर कार्य कर रहे हैं. यही कारण है कि उद्धव ठाकरे ने अपने सबसे विश्वसनीय संजय राऊत को यहां पार्टी-संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी. राऊत ने अपना टारगेट मनपा में भगवा फहराने का रखा है लेकिन अब यहां पदाधिकारियों की गुटबाजी इसी तरह चलती रही तो नुकसान हो सकता है. असंतुष्ट गुट सीएम ठाकरे से मिलकर अपनी बात रखने की तैयारी कर रहा है. इस गुट को यकीन है कि वहां उनकी बात सुनी व समझी जाएगी. उसके बाद पार्टी में दोबारा क्या फेरबदल होगा, इस पर सभी की नजरें लगी हुई हैं.