नागपुर. बीते दिनों बंबई उच्च न्यायालय ने स्कूल बसों के फिटनेस को गंभीरता से लेते हुए परिवहन आयुक्त को तलब कर राज्य सरकार को 3 सप्ताह के अंदर हलफनामा पेश करने के निर्देश दिए. इसका परिणाम भी देखने को मिला. न्यायालय के निर्देशों के बाद शिक्षा विभाग अलर्ट मोड पर है. उसने सभी शिक्षाधिकारियों को हर स्कूल में 15 सितंबर तक स्कूल बस परिवहन समिति गठित करने के आदेश दिए हैं. इस पूर घटनाक्रम से शहर के अभिभावक बेहद खुश हैं, उनका कहना है कि वे इस निर्णय का स्वागत करते हैं, साथ ही आशा करते हैं कि न्यायालय इस मामले पर लगातार नजर बनाए रखेगा क्योंकि यह मामला बच्चों के जीवन से जुड़ा है.
उल्लेखनीय है कि जिले में कई ऐसे स्कूल हैं जो बच्चों को उनके घर से स्कूल लाने और ले जाने के लिए अनफिट बसों के साथ दूसरे वाहनों का उपयोग कर रहे हैं. वैसे नियामनुसार स्कूल में जिला स्तरीय स्कूल बस समिति की बैठक नियमित होनी चाहिए. साथ ही स्कूल स्तरीय स्कूल बस समितियों का गठन होना चाहिए जिससे ये बसों की फिटनेस पर नजर रख सकें. साथ ही अनफिट वाहनों को स्कूल से बाहर का रास्ता दिखा सकें और इसकी जानकारी परिवहन विभाग को भी दें जिससे इन वाहनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जा सके.
पालकों को नहीं होती जानकारी
कई पालकों ने बसों की फिटनेस के संबंध में स्कूल प्रबंधन से भी बात की लेकिन उनकी बात को नजरअंदाज किया गया. इस बात से गुस्सा होकर कुछ अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने और लाने का जिम्मा खुद उठाया वहीं कुछ ने दूसरे वाहनों के माध्यम से बच्चों को स्कूल ले जाने और घर छोड़ने की व्यवस्था की. इसकी सबसे बड़ी वजह बसों का कहीं भी खराब होना, लगातार धुआं उगलना, पंक्चर होने के साथ ड्राइवरों का तेज गति से वाहन चलाना शामिल था. शहर के अभिभावकों का मानना है कि न्यायालय का यह आदेश कुछ परिवर्तन जरूर लाएगा.