नागपुर. दोस्त के साथ मिलकर अपने ही पिता की हत्या करने के मामले में फंसा बेटा आरोप सिद्ध नहीं होने के कारण बरी हो गया लेकिन उसके दोस्त को न्यायालय ने दोषी पाया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. भरतनगर निवासी ओमप्रकाश मेवालाल शाहू (38) और दिनेश उर्फ गोगा चिंतामन शाहू (29) के खिलाफ मेवालाल शाहू (60) की हत्या का मामला दर्ज हुआ था. मेवालाल ने 2 विवाह किए थे. ओमप्रकाश पहली पत्नी का बेटा है. दूसरी पत्नी सरिता शाहू से संजू नामक बेटा है.
मेवालाल की पहली पत्नी और परिवार तो संपन्ना था लेकिन सरिता और संजू के खाने के लाले पड़े थे. दोनों ने परिसर में चाय-नाश्ते की दूकान शुरू की. इस बात से ओमप्रकाश बौखलाया था. उसे लग रहा था कि परिसर में परिवार की बदनामी होगी. इसीलिए वह दूकान का विरोध कर रहा था. 18 नवंबर 2018 की रात ओमप्रकाश और गोगा ने सरिता से विवाद किया. संजू बीच बचाव करने आया तो हाथापाई हो गई. मेवालाल ने भी बीचबचाव किया.
इसी दौरान गोगा ने उन पर 4 बार चाकू से वार कर बुरी तरह जख्मी कर दिया. आरोपियों ने संजू पर भी हमला किया था. दोनों को उपचार के लिए मेयो अस्पताल में भर्ती किया गया. उपचार के दौराव मेवालाल की मौत हो गई. सब इंस्पेक्टर संदीप मोरे ने प्रकरण की जांच कर न्यायालय में आरोप पत्र दायर किया. सरकारी वकील आसावरी परसोडकर गोगा के खिलाफ आरोप सिद्ध करने में कामयाब हो गई लेकिन ओमप्रकाश बच गया. बतौर पैरवी अधिकारी एएसआई सुदेश चौहान और हेड कांस्टेबल रामेश्वर ने कामकाज संभाला.