OBC को कम आरक्षण, कांग्रेस का पाप, बोगस इम्पेरिकल डेटा देने का परिणाम

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    • 41 सीटें 2017 में मिली थीं
    • 35 सीटें 2022 में मिलीं
    • 50 सीटें के लगभग मिलनी थीं

    नागपुर. मनपा चुनाव में बीते चुनाव की अपेक्षा ओबीसी वर्ग को कम सीटें मिलने से समाज में रोष देखा जा रहा है. भाजपा विधायक कृष्णा खोपड़े ने आरोप लगाया है कि मविआ सरकार ने अदालत में त्रुटिपूर्ण जानकारी के आधार पर बोगस इम्पेरिकल डेटा सादर किया जिसके चलते अन्याय हुआ है. दरअसल कांग्रेस की मानसिकता ओबीसी आरक्षण को खत्म कर ओपन से चुनाव करवाने की थी जिसके चलते ही जिप व अन्य स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी बिना चुनाव करवाया गया.

    उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 के चुनाव में नागपुर मनपा में 41 सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित थी जिसके लिए 2011 जनगणना को आधार लिया गया था. उस सम मनपा में 151 नगरसेवक थे और 24 लाख जनसंख्या के चलते 27 प्रतिशत आरक्षण में 41 सीटें मिली थीं लेकिन एक दिन पहले निकाले गए ड्रा में भी 2011 की जनगणना को आधार मानते हुए ओबीसी आरक्षण निकाला गया.

    कुल 156 सीटें होते हुए भी केवल 35 सीटें ओबीसी को मिलीं जो 23 प्रतिशत होती है. जबकि शहर की जनसंख्या अब बढ़कर 35 लाख के करीब हो गई है. उस हिसाब से ओबीसी को 50 सीटें मिलनी थीं. उन्होंने आरोप लगाया कि 2021 में जनगणना करना बंधनकारक होते हुए भी कांग्रेस सोयी रही. अगर जनगणना होती तो ओबीसी को 50 सीटें मिलतीं.

    …तो अदालत में दायर करेंगे याचिका

    खोपड़े ने कहा कि चुनाव आयोग ने सारी परिस्थितियों व कानून का अध्ययन कर 2021 की जनसंख्या का आधार लिया होता तो ओबीसी समाज को न्याय मिला होता. 29 जुलाई को ओबीसी आरक्षण का ड्रा गैरकानूनी और समाज को गुमराह करने वाला है. इस संदर्भ में जल्द ही चुनाव आयोग से भेंट करेंगे और जरूरत पड़ी तो इस ड्रा के खिलाफ न्यायालय में याचिका दाखल करेंगे.