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नागपुर. प्रमुख जिला व सत्र न्यायाधीश एस.बी.अग्रवाल ने पत्नी की हत्या के मामले में आरोपी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. 30 अप्रैल 2018 को पुलिस ने मानकापुर निवासी असीम ताज मोहम्मद पठान (24) के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था. असीम और शिवनगर निवासी महिमा महादेव विटोले (21) के बीच प्रेम संबंध थे. दोनों पति-पत्नी की तरह साथ रहते थे लेकिन कुछ समय बाद असीम ने महिमा के चरित्र पर संदेह कर विवाद करना शुरू कर दिया. वह बार-बार उसे शारीरिक प्रताड़ना दे रहा था. तंग आकर महिमा ने उसका घर छोड़ दिया और 1 वर्ष से अपनी मां अंबिका विटोले के साथ रहती थी.

असीम उसे अपने साथ रहने के लिए दबाव डाल रहा था. कई बार उसने महिमा से विवाद किया. 30 अप्रैल 2018 की रात 9 बजे के दौरान असीम ने झिंगाबाई टाकली के गजानननगर रोड पर महिमा का रास्ता रोका. उसे अपने साथ चलने को कहा. इनकार करने पर असीम ने धारदार हथियार से वार कर महिमा को मौत के घाट उतार दिया.

मानकापुर पुलिस ने महिमा की मां अंबिका की शिकायत पर हत्या का मामला दर्ज किया. तत्कालीन इंस्पेक्टर महेश चव्हाण ने प्रकरण की जांच कर न्यायालय में आरोपपत्र दायर किया. सरकारी वकील आसावरी परसोडकर आरोप सिद्ध करने में कामयाब हुई.

न्यायालय ने असीम को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 1 लाख रुपये जुर्माने की राशि अंबिका को देने की सजा सुनाई. जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर उसे 2 वर्ष अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. बतौर पैरवी अधिकारी एएसआई प्रशांत बोंद्रे, हेड कांस्टेबल फखरुद्दीन काजी और स्वाति बोरकर ने अभियोजन पक्ष को सहयोग किया.

गैर इरादतन हत्या में 5 वर्ष की सजा

न्या. अग्रवाल ने हत्या के ही एक मामले में आरोपी को गैर इरादतन हत्या की धारा में दोषी करार देते हुए 5 वर्ष की सजा सुनाई है. हुड़केश्वर पुलिस ने नेहरूनगर निवासी सूरज विलास बागड़े (31) के खिलाफ हत्या का प्रयास और हत्या सहित विविध धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. उसपर अपने पड़ोसी देवदर्शन उर्फ बालू मेश्राम (40) की हत्या का आरोप था.

सूरज नशेड़ी था और अक्सर लोगों से विवाद करता था. उसने मेश्राम के घर के सामने अपने घर की टिन रखी थी. टिन हटाने के लिए कहने पर उसने मेश्राम को धमकाया था. उन्होंने पुलिस से शिकायत की. शिकायत से बौखलाए सूरज ने 9 अक्टूबर 2021 की दोपहर मेश्राम के परिजनों से गालीगलौज की थी. इसकी जानकारी मिलने पर मेश्राम उसे समझाने गए. सूरज ने कुल्हाड़ी से हमला कर उन्हें बुरी तरह जख्मी कर दिया. पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था.

उपचार के दौरान दूसरे दिन ही मेश्राम की मौत हो गई और पुलिस ने हत्या की धारा बढ़ाई. तत्कालीन एपीआई सत्यवान कदम ने प्रकरण की जांच कर आरोपपत्र दायर किया. न्यायालय ने सूरज को गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए 5 वर्ष कारावास की सजा सुनाई. अभियोजन पक्ष की पैरवी अधि. आसावरी परसोडकर ने की. बतौर पैरवी अधिकारी हेड कांस्टेबल अभिषेक कश्यप और ममता ने कामकाज संभाला.