Nagpur High Court
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    नागपुर. छात्रों को इंस्टाग्राम पर पोर्न वीडियो वायरल करना महंगा पड़ा. हालांकि यह वीडियो गलती से पोस्ट होने का दावा कर मामले से निजात दिलाने का अनुरोध करते हुए छात्रों ने हाई कोर्ट में याचिका तो दायर की किंतु उस पर लंबी सुनवाई के बाद न्यायाधीश जीए सानप ने किसी भी तरह की राहत देने से साफ इनकार कर दिया. इसके पूर्व छात्रों ने पोक्सो की विशेष अदालत में भी याचिका दायर की थी जहां पोक्सो के विशेष न्यायाधीश ने 31 मार्च 2022 को याचिका ठुकरा दी. इसके बाद इसी आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. मानकापुर में घटी घटना को लेकर साइबर पुलिस थाना के पीआई ने एफआईआर दर्ज कराई थी. इंस्टाग्राम पर वीडियो अपलोड किए जाने के बाद साइबर सेल और फॉरेन्सिक टीम से इसकी जांच कराई गई जिसमें पूरा मामला उजागर हुआ.

    महाराष्ट्र साइबर सेल की निगरानी

    फॉरेन्सिक टीम की ओर से की गई जांच में कई बातों का खुलासा हुआ जिसमें इन छात्रों द्वारा न केवल वीडियो देखा गया बल्कि इसे मोबाइल में सुरक्षित किया गया. साथ ही उन्होंने अपने दोस्तों को भी बांटा. वीडियो में एक महिला को दिखाया गया था. मुंबई के महाराष्ट्र साइबर सेल के अधिकारी की ओर से इस अपराध की जानकारी नागपुर के साइबर पुलिस थाना को भेजी गई थी. इसी आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था. साथ ही चार्जशीट भी दायर की. याचिकाकर्ता छात्रों का कहना है कि उनके खिलाफ भले ही चार्ज फ्रेम किए जा चुके हों लेकिन इसके कोई सबूत नहीं हैं. युवा छात्र होने के साथ ही उनके खिलाफ अब तक कोई भी आपराधिक घटनाओं में लिप्त होने के कोई मामले नहीं हैं.

    वीडियो के जनक नहीं

    याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे सभी संभ्रांत परिवार से हैं. इसके अलावा वे इस वीडियो के जनक नहीं हैं. एक साथी को यह वीडियो मिला था. उसने अपने दोनों साथियों को फारवर्ड कर दिया. सरकारी पक्ष की ओर से याचिकाकर्ताओं की दलीलों का कड़ा विरोध करते हुए बताया गया कि जांच के दौरान जो भी सबूत जुटाए गए हैं उनके अनुसार याचिकाकर्ता सहित तीनों छात्र इसमें दोषी दिखाई दे रहे हैं. यहां तक कि निचली अदालत ने भी सबूतों के आधार पर ही याचिकाकर्ताओं को राहत देने से इनकार कर दिया. दोनों पक्षों की दलीलों के बाद हाई कोर्ट ने भी राहत देने से इनकार किया.