मेडिकल: वार्ड में 40 बेड, सिर्फ 13 मरीज भर्ती

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    नागपुर. शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग में स्नातकोत्तर की सीटों पर संकट गहराने लगा है. नेशनल मेडिकल कमिशन की गाइड लाइन्स के अनुसार किसी भी विभाग में भर्ती मरीजों की संख्या कम से कम 75-80 फीसदी होनी चाहिए. यदि इससे कम मरीज भर्ती हैं तो विभाग की स्नातकोत्तर की सीटें छीनी जा सकती हैं. विभाग में इन दिनों केवल 10-15 मरीज ही भर्ती हो रहे हैं. यही वजह है कि भविष्य के लिए संकट के बादल छाने लगे हैं. 

    मनोचिकित्सा विभाग में कुल बेड की संख्या 40 है जबकि मंगलवार को वार्ड में कुल 13 मरीज ही भर्ती थे. जबकि पिछले 3 महीने में मरीजों की संख्या 15-20 से अधिक नहीं पहुंच सकी. विभाग को 2 वर्ष पहले ही स्नातकोत्तर की 4 सीटें मिली हैं. स्नातकोत्तर की एक वर्ष की 4 सीटों के अनुसार डिग्री पूरी होने तक यानी 3 वर्ष तक कुल 12 निवासी डॉक्टर होते हैं. वहीं प्राध्यापक, विभाग प्रमुख और लेक्चरर की संख्या मिला दी जाये तो विभाग में मरीजों की तुलना में स्टाफ अधिक हो रहा है.

    सीनियर डॉक्टरों की लेटलतीफी

    ऐसा नहीं है कि विभाग में मरीज इलाज कराने नहीं आते. ओपीडी में सुबह 9 बजे से ही मरीजों की कतार लग जाती है जबकि विभाग प्रमुख सहित अन्य डॉक्टर 10-11 बजे से पहले नहीं आते. तब तक निवासी डॉक्टर ही मरीजों की जांच करते हैं. भर्ती कराने के लिए सीनियर डॉक्टरों का परामर्श लगता है लेकिन सीनियर्स नहीं होने के कारण मरीजों को दवाई की पर्ची थमा कर लौटा दिया जाता है. इस दिशा में विभाग प्रमुख भी गंभीर नहीं है. कुछ माह पहले इस संबंध में तत्कालीन अधिष्ठाता डॉ. सुधीर गुप्ता से भी शिकायत की गई थी लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ. सुबह के वक्त विभाग में वैद्यकीय प्रतिनिधि (एमआर) की भी भीड़ लगी रहती है यानी डॉक्टरों के लिए मरीजों से ज्यादा एमआर के कॉल अटेंड करना जरूरी हो जाता है.  

    सुबह जांच, शाम तक भर्ती 

    पिछले दिनों विभाग में भर्ती एक 30 वर्षीय महिला ने वार्ड से निकलकर नीचे कूदकर आत्महत्या का प्रयास किया. महिला की मानसिक स्थिति खराब होने के कारण उसे भर्ती कराने की सलाह दी गई थी. इस घटना के बाद मेडिकल में हडकंप मच गया लेकिन प्रशासन ने इस मामले की जांच तक नहीं कराई. इस तरह की घटनाएं व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं. यदि किसी मरीज को भर्ती होने की सलाह दी जाती है तो उसे सभी तरह की टेस्ट कराते-कराते शाम हो जाती है.