मेडिकल: नई इमारत की अभी से करनी होगी तैयारी, 75 वर्ष का हो गया मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल

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    नागपुर. एक दौर था जब शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल एशिया में नंबर पर हुआ करता था. बाद में कुछ और अस्पताल बने लेकिन आज भी मध्य भारत के मरीजों के लिए मेडिकल सहारा बना हुआ है. मेडिकल अब 75 वर्ष का होने के साथ ही इमारत भी पुरानी हो गई है. वर्तमान में इमारत से लगकर किये जा रहे विविध निर्माण कार्य से खतरा पैदा हो गया है. कई जगह स्लैब टूट रही हैं. लोहे के एंगल के सहारे स्लैब को बचाने के लिए जुगाड़ तंत्र का इस्तेमाल किया जा रहा है.

    जानकारों की मानें तो अस्पताल के लिए अब नई इमारत की आवश्यकता है. इस दिशा में अभी से प्रयासों की शुरुआत होगी तो 100 वर्ष पूर्ण होने तक नई इमारत में अस्पताल शिफ्ट हो सकता है. संपूर्ण कॉलेज व अस्पताल १९६ एकड़ में फैला हुआ है. इसमें टीबी वार्ड परिसर का भी समावेश है. कुछ वर्ष पहले टीबी वार्ड में त्वचा रोग विभाग का छज्जा गिर गया था. इसमें दो लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद पूरी इमारत में छज्जों को तोड़ दिया गया.

    दरअसल यह संकेत थे कि इमारत को अब मेंटेनेंस की जरूरत है. मेडिकल, सुपर अस्पताल, होस्टल सहित अन्य इमारतों की देखरेख के लिए पृथक सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग कार्यरत है लेकिन विभाग की ओर से अब हर वर्ष मरहम पट्टी से काम चलाया जा रहा है. जबकि विशेषज्ञों की मानें तो दुरुस्ती के लिए साइंटिफिक तरीकों का इस्तेमाल होना चाहिए. 

    10 मंजिला इमारत का बना था प्रारूप 

    तत्कालीन अधिष्ठाता डॉ. सजल मित्रा के कार्यकाल में मेडिकल के विकास के लिए मास्टर डेवलपमेंट प्लान बनाया गया था. भविष्य की योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए एक इंटरनल कमेटी बनाई गई थी. कमेटी में वीएनआईटी के दो प्रोफेसर, पीडब्ल्यूडी के अभियंता, प्राइवेट आर्किटेक्ट, मेडिकल के अधिकारियों का समावेश किया गया था. कमेटी ने नई इमारत की रूपरेखा तैयार की थी. मौजूदा दौर में मार्डन वर्टिकल डिजाइन बनाया जाता है जबकि मेडिकल की इमारत पुराने हेरिजेंटल आकार में है. विभाग, कैजुअल्टी, ओपीडी, ओटी की दूरी अधिक है. इस वजह से मरीजों को अक्सर भटकना पड़ता है. कमेटी ने 10 मंजिल की इमारत का प्रारूप तैयार किया था. यह इमारत चरणबद्ध तरीके से बनाई जाने वाली थी. इसके लिए कम जगह का इस्तेमाल होना था. डॉ. मित्रा के जाने के बाद कमेटी को प्रशासकीय मान्यता नहीं मिल सकी और समूची योजना फाइलों में बंद होकर रह गई. 

    स्ट्रक्चरल ऑडिट में हुआ साबित 

    कुछ वर्ष पहले अस्पताल और कॉलेज इमारत दोनों का स्ट्रक्चरल ऑडिट भी किया गया था. इसमें पाया गया कि  कॉलेज की इमारत 100 वर्ष तक मजबूत रह सकती है लेकिन अस्पताल की इमारत पुरानी हो गई है. कुछ वर्ष बाद इमारत उपयोग के लायक नहीं रह सकती. ऑडिट में यह भी सुझाव दिया गया था कि वर्तमान में की जा रही दुरुस्ती को साइंटिफिक तरीके से किया जाये लेकिन आज भी पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा सामान्य तरीके से दुरुस्ती की जाती है. पेंटिंग का तरीका भी पुराना ही है. साथ ही मुख्य इमारत से लगकर निर्माण कार्य किया जा रहा है. कुछ वार्ड भी बनाये गये हैं जबकि नया निर्माण कार्य पृथक होना चाहिए.