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    नागपुर. सरकार ने प्लेटिनम जुबली के मद्देनजर मेडिकल के अपग्रेडेशन के लिए 350 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है. इसके लिए जिलाधिकारी के माध्यम से प्रस्ताव भी तैयार करने के निर्देश दिये गये हैं लेकिन वस्तुस्थिति यह है कि अब भी मामूली साधन-सुविधाओं के लिए भी मरीजों को तरसना पड़ रहा है. एक्स-रे फिल्म की आपूर्ति बंद होने से मरीजों को मोबाइल से स्क्रीन शॉट निकालने की सलाह दी जा रही है. यानी ऑनलाइन सेवा बंद होने के 6 माह बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है.

    अक्सर देखने में आता है कि शीत सत्र अधिवेशन के दौरान मेयो, मेडिकल में मरीजों को अच्छी सुविधा मिलती है लेकिन अधिवेशन खत्म होने के बाद एक बार फिर स्थिति जस की तस हो जाती है. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद सभी शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालयों में ५ जुलाई की मध्य रात्रि १२ बजे से हॉस्पिटल मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) बंद कर दिया गया. इससे पंजीयन, प्रिसक्रिप्शन,एक्स-रे, बिलिंग जैसी ऑनलाइन सुविधा बंद हो गई. 6 माह बीत जाने के बाद भी सरकार ने पर्यायी व्यवस्था नहीं की है. यही वजह है कि मरीजों के पंजीयन से लेकर एक्स-रे रिपोर्ट तक सभी मैनुअली किया जा रहा है. अचानक ऑनलाइन सुविधा तो बंद कर दी गई लेकिन एक्स-रे फिल्म ही उपलब्ध नहीं थी. 

    परिजन, डॉक्टर भी परेशान 

    शुरुआत के दो महीने फिल्म की आपूर्ति नहीं की गई. बाद में आपूर्ति हुई लेकिन वह भी पर्याप्त संख्या में नहीं की गई. अब एक बार फिर पहले जैसे ही स्थिति निर्माण हो गई है. एक्स-रे होने के बाद परिजनों को भीतर बुलाया जाता है और टेक्नीशियन कंप्यूटर के स्क्रीन की फोटो निकालने की सलाह देता है. यही फोटो संबंधित डॉक्टर को दिखाया जाता है लेकिन ऐसे कई परिजन होते हैं जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं होता.

    इस हालत में परिजन किसी अन्य लोगों की मदद लेते हैं या फिर इंटर्न डॉक्टर अपने मोबाइल में फोटो निकालकर सीनियर डॉक्टरों को दिखाते हैं. एक्स-रे और मोबाइल की फोटो में फर्क होता है. कई बार स्पष्टता नहीं होती, इससे इलाज में भी डॉक्टरों को दिक्कतें आ रही हैं लेकिन सरकार द्वारा अब तक पर्यायी व्यवस्था के रूप में कोई इंतजाम नहीं किया जा रहा है. ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन होने से हर दिन काउंटर पर मरीजों की लंबी कतार लगी रहती है. इतना ही नहीं पहले डॉक्टर ऑनलाइन प्रिसक्रिप्शन देते थे लेकिन अब उन्हें भी हाथ से लिखकर देना पड़ रहा है.