Nagpur Metro
नागपुर मेट्रो (फाइल फोटो)

    Loading

    • DCM ने भी दिया था आश्वासन
    • रिकार्ड बनने में हो रहा विलंब

    नागपुर. एलआईसी चौक से ऑटोमोटिव चौक तक प्रस्तावित डबल डेकर फ्लाईओवर को लेकर कोई गंभीर नहीं है. मनपा की ओर से जमीन अधिग्रहण को लेकर 11 अक्टूबर को मंत्रालय प्रस्ताव भेजा गया था, दिसंबर खत्म होने को है लेकिन अब तक प्रस्ताव विचाराधीन है. माया नगरी में फाइल गुम हो गई है. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी 15 दिनों के अंदर मंजूरी दिलाने की बात कही थी लेकिन काफी समय गुजर जाने के बाद भी फाइल अटकी हुई है जिसके कारण 700 करोड़ का निवेश अटका पड़ा है. अब जबकि सत्र नागपुर में जारी है उम्मीद की जा रही है कि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाए ताकि लोगों को राहत मिल सके.

    सबसे लंबा डबल डेकर

    5.5 किलोमीटर इस सबसे लंबे डबल डेकर का काम पिछले 9 माह से बंद है क्योंकि कस्तुरचंद की ओर लैंडिंग होने वाले स्थान के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सका है. मनपा ने अपनी ओर से फाइलें भेजीं, कुछ संशोधन मांगा गया. संशोधित प्रस्ताव पुन: 11 अक्टूबर को भेज दिया गया लेकिन मंत्रालय अब तक इस पर निर्णय नहीं कर पा रहा है. इस बीच फडणवीस ने भी आश्वासन दिया था कि जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान निकाल लेंगे, इस बात को भी महीनेभर से अधिक हो गया है लेकिन जनता समाधान के इंतजार में है. फ्लाईओवर का लगभग पूरा का पूरा पैच 90-95 फीसदी बनकर तैयार है. इसके बावजूद इतना विलंब होना समझ से परे है. 

    चलने लगी मेट्रो

    फ्लाईओवर का काम मेट्रो से पहले शुरू हुई थी बावजूद मेट्रो अपने यात्रियों को लेकर दौड़ने लगी है लेकिन फ्लाईओवर का कोई वाली नगर नहीं आ रहा है. महज 2,701 वर्ग मीटर जमीन के लिए प्रोजेक्ट को इतने लंबे समय से अटकाये रखना प्रशासन की घोर लापारवाही ही कहा जा सकता है. जब पूरा प्रोजेक्ट बन रहा था तब किसी भी अधिकारी का ध्यान जमीन अधिग्रहण की ओर नहीं गया और जब अंतिम समय आया तो गंभीरता का आभाव दिखाई दे रहा है. 

    जनता के 700 करोड़ अटके

    आखिर इतने प्रमुख प्रोजेक्ट के लिए 700 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है. कठिन से कठिन काम भी हो चुके हैं. इसके बावजूद फ्लाईओवर का शुरू नहीं होना काफी आश्चर्य में डालता है. डीसीएम, केंद्रीय मंत्री के हस्तक्षेप के बाद भी फाइल को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है और लोगों की धैर्य की परीक्षा ही ली जा रही है. रोजाना इस मार्ग से हजारों लोग गुजरते हैं, इन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. फ्लाईओवर के बनने से कम से कम क्षेत्र के लोगों को ट्रैफिक से काफी राहत मिल सकती है. 

    विकास को लग रहा पलीता

    फ्लाईओवर के अटक जाने के कारण क्षेत्र के विकास को भी पलीता लग रहा है. मेट्रो के संचालन से निश्चित रूप से लोगों को राहत मिली है. बड़ी संख्या में लोग मेट्रो की सवारी शुरू कर चुके हैं लेकिन दूर जाने वाले अब भी निराश हैं क्योंकि उन्हें बाहर निकलने के लिए काफी समय बर्बाद करना पड़ रहा है. इसके लिए इस क्षेत्र में नए प्रोजेक्ट रुक गए हैं और लोग फ्लाईओवर बनने के इंतजार में है. फ्लाईओवर बनते ही क्षेत्र में कई हॉस्पिटल, स्कूल, आवासीय, कमर्शियल प्रोजेक्ट शुरू हो सकते हैं. 

    4 वर्षों से कार्य हुए शुरू 

    2017 में इस फ्लाईओवर का प्रस्ताव दिया गया था, 2018 में कार्य भी शुरू हो गया, काफी काम हुए भी लेकिन बाद में दिन खराब होते चले गए. 4 वर्ष से अधिक हो गए, लागत में इजाफा हो गया परंतु लोगों को राहत नहीं मिल पाई है. जानकारों का कहना है कि पहले ही प्रोजेक्ट कास्ट काफी बढ़ चुका है. इसमें और विलंब होता है तो इसकी लागत और बढ़ सकती है. इसलिए बेहतर होगा कि समय रहते इस कार्य को पूर्ण करा लिया जाए ताकि जनता की गाढ़ी कमाई बर्बाद न हो.