The entire Rana family infected, security guards caught everyone
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    नागपुर. विधानसभा के वर्ष 2019 में हुए आम चुनावों में विधायक रवि राणा द्वारा निर्धारित से अधिक का खर्च किए जाने की हर स्तर पर जांच होने के बाद राष्ट्रीय चुनाव आयोग के पास जनप्रतिनिधि कानून की धारा 10ए के अनुसार कार्रवाई करने का आवेदन किया गया. किंतु लंबा समय बीतने के बावजूद अब तक चुनाव आयोग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसे लेकर सुनील खरात की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई.

    याचिका पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग को हलफनामा दायर करने के लिए काफी समय भी दिया गया किंतु वह दायर नहीं हो पाया. बुधवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने राष्ट्रीय चुनाव आयोग को हलफनामा दायर करने का अंतिम मौका प्रदान किया. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. ओंकार घारे और चुनाव आयोग की ओर से अधि. निरजा चौबे ने पैरवी की. 

    पहले ही दे चुके हैं काफी समय

    बुधवार को सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि लंबे समय से राष्ट्रीय चुनाव आयोग के पास मामला लंबित है. समय रहते इस पर निर्णय होना चाहिए था. सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के साथ हुए पत्राचार की जानकारी भी अदालत के समक्ष रखी गई जिसमें गति से इसके निपटारे को लेकर कोई खुलासा नहीं किया गया. केवल नियमों के अनुसार कार्यवाही होने की जानकारी उजागर की गई है.

    इसके बाद अदालत ने इस संदर्भ में स्पष्टीकरण के साथ हलफनामा दायर करने के आदेश चुनाव आयोग को दिए. हलफनामा दायर करने के लिए चुनाव आयोग की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने इसके लिए 8 सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया. इस पर अदालत ने कहा कि पहले ही 8 सप्ताह का समय दिया जा चुका है. अत: अंतिम मौका प्रदान कर 2 सप्ताह में हलफनामा दायर करने के आदेश दिए. 

    अन्यथा याचिका पर अंतिम निर्णय

    अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि यदि 2 सप्ताह के भीतर चुनाव आयोग की ओर से हलफनामा दायर नहीं किया गया तो अदालत सुनवाई शुरू कर अंतिम निर्णय दे देगी. याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में कहा गया कि विधायक रवि राणा के चुनावी एजेंट सूर्यकांत दुधाने की ओर से ही चुनावी खर्च का लेखाजोखा दिया गया था.

    उसी लेखाजोखा में निर्धारित खर्च से अधिक खर्च होने का खुलासा हुआ था जिसके बाद मामला उजागर होते ही राज्य के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी ने इसकी जानकारी राष्ट्रीय चुनाव आयोग के प्रधान सचिव को इसकी जानकारी दी थी. यहां तक कि जिला चुनाव अधिकारी की ओर से मामले की हुई जांच की रिपोर्ट भी चुनाव आयोग को सौंपी गई थी. इसके बावजूद कार्रवाई नहीं की गई.