nmc

  • वेबसाइट पर अभी भी झलके सभापति, जाधव सत्तापक्ष नेता

Loading

नागपुर. महानगरपालिका द्वारा कई सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध कराए जाने का डंका पीटा जाता है. यहां तक कि ऑनलाइन सेवा मुहैया कराने के लिए मनपा बेवसाइट को अपडेट रखने के लिए प्रति वर्ष लाखों रुपए कम्पनी पर खर्च करती हैं किंतु हालात यह हैं कि सेवाओं को ऑनलाइन करने का दम्भ भरने वाला मनपा प्रशासन पूरी तरह ऑफलाइन हो गया है.

इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मनपा की वेबसाइट पर अभी भी विजय झलके को ही मनपा की तिजोरी संभालने वाले स्थायी समिति का सभापति दिखाया जा रहा है, जबकि नये स्थायी समिति सभापति प्रकाश भोयर की नियुक्ति को लगभग 6 माह का पूरा हो चुका है.

इसके अलावा सत्तापक्ष नेता के रूप में संदीप जाधव के स्थान पर आईटी एक्सपर्ट अविनाश ठाकरे की नियुक्ति कुछ माह पहले कर दी गई लेकिन मनपा की वेबसाइट पर अभी भी संदीप जाधव ही बने हुए हैं. आईटी एक्सपर्ट सत्तापक्ष नेता बनने के बावजूद उनके कार्यकाल में प्रशासन के ऑफलाइन होने पर आश्चर्य जताया जा रहा है.

अधिकारी बदले, नहीं बदली वेबसाइट

-उल्लेखनीय है कि जिस तरह से जनप्रतिनिधियों की जानकारी अपडेट नहीं की गई, उसी तरह कई अधिकारी एक विभाग से दूसरे विभाग में बदले गए हैं. इसी तरह से कई जोन के सहायक आयुक्त के अलावा कुछ विभाग में प्रमुख पद पर नई नियुक्तियां हुई हैं. 

-आश्चर्यजनक यह है कि अभी भी कुछ पुराने अधिकारी ही प्रभारी के रूप में दिखाए जा रहे हैं, जबकि नये अधिकारियों की वेबसाइट पर जानकारी ही नहीं दी गई. 

-जानकारों के अनुसार मनपा की ओर से ऑनलाइन शिकायतें भी पोर्टल के माध्यम से ली जाती हैं, किंतु वेबसाइट पर यदि अधिकारियों की जानकारी ही अपडेट न हो तो शिकायत किसके पास गई, शिकायत का निवारण कौन कर रहा है, इसका आकलन करना संभव ही नहीं है. 

-उदाहरण यह है कि नगर रचना विभाग में सहायक संचालक के रूप में नये अधिकारी की नियुक्ति हुई है. किंतु प्रभारी के रूप में अभी भी हर्षल गेडाम का नाम दिखाया जा रहा है. 

वेबसाइट अपडेट का दावा

मनपा की ओर से वेबसाइट को ‘अप-टू-डेट’ रखने के लिए प्रतिवर्ष लाखों रुपए कम्पनी को दिए जाते हैं. हाल ही में इस पर खर्च को वित्तीय मान्यता प्रदान करने के लिए स्थायी समिति के समक्ष प्रस्ताव रखा गया था जिसे सभापति प्रकाश भोयर की ओर से हरी झंडी दी गई थी. उन्होंने कहा था कि मनपा की ओर से कई सेवाएं अब ऑनलाइन हो चुकी हैं जिससे वेबसाइट व पोर्टल अपडेट रखना जरूरी है. भले ही कुछ निधि खर्च हो रही हो लेकिन जनता को सेवाएं देने के लिए यह जरूरी है. वेबसाइट अपडेट रखने के लिए जिस स्थायी समिति सभापति ने वित्तीय मंजूरी दी उनका नाम ही वेबसाइट पर अपडेट करना कम्पनी भूल गई.