NMC

    Loading

    • 8,83,90,535 रु. का था मूल प्राक्कलन
    • 14,45,36,203 रु. अब होने हैं खर्च

    नागपुर. शहर की जलापूर्ति को सुचारु करने के नाम पर केंद्र सरकार की ‘अमृत योजना’ में भले ही कई स्थानों पर पानी की टंकी का निर्माण करने का दिखावा हो रहा हो लेकिन वास्तव में मनपा को करोड़ों की चपत लग रही है. मनपा की सभा और अब स्थायी समिति के समक्ष इस तरह के कई प्रस्ताव आने के बाद हरी झंडी मिलते ही मनपा तो कंगाल हो रही है किन्तु ठेकेदार मालामाल हो रहे हैं. इसका ज्वलंत उदाहरण शुक्रवार को उस समय देखने को मिला जब स्थायी समिति ने एक टंकी के निर्माण का प्रस्ताव पारित कर दिया.

    बेतरतीब कार्यप्रणाली के कारण मनपा का भले ही नुकसान हो रहा हो लेकिन अधिकारी वर्ग अपनी पीठ थपथपाने से बाज नहीं आ रहे हैं. शुक्रवार को हुई स्थायी समिति की बैठक में डबल डेकर पानी की टंकी के निर्माण के लिए 46 प्रतिशत अधिक राशि के टेंडर को मंजूरी प्रदान की गई है. पानी की 2 टंकियों के निर्माण के लिए पहले 8,83,90,535 रु. का प्राकलन तैयार किया गया था. जबकि अब डबल डेकर टंकी पर 14,45,36,203 रु. खर्च होने है. 

    मनपा का 75 लाख बचने का दावा

    उल्लेखनीय है कि हनुमाननगर जोन अंतर्गत ओंकारनगर-2 में 20 लाख लीटर पानी की क्षमता वाली टंकी का निर्माण करने का प्रस्ताव तैयार किया गया था. इसी तरह ओंकारनगर और म्हालगीनगर के लिए 20 लाख लीटर की टंकी जानकीनगर बुद्ध विहार के पास बनाने का प्रस्ताव था. लेकिन जानकीनगर में प्रस्तावित टंकी की जमीन निजी होने का खुलासा होने के कारण नई जमीन खोजी गई किंतु जगह नहीं मिलने से अब डबल डेकर टंकी का निर्माण करने का निर्णय लिया गया.

    आलम यह है कि सीमेंट रोड निर्माण के लिए ठेकेदारों की ओर से 30 से 35 प्रतिशत कम राशि का टेंडर भरा जाता है, जबकि इस टंकी के निर्माण के लिए 46 प्रतिशत अधिक का टेंडर भरा गया. इस संदर्भ में पूछे जाने पर अधिकारी का मानना था कि पानी की टंकी का निर्माण करने के लिए एमजेपी के सीएसआर तथा रोड बनाने के लिए पीडब्ल्यूडी के सीएसआर के आधार पर निधि निश्चित की जाती है. अधिकारियों ने डबल डेकर टंकी का निर्माण कर 75 लाख रु. बचने का दावा भी किया. किंतु वास्तविकता यह है कि ठेकेदार को 6 करोड़ से अधिक का लाभ हो रहा है. 

    पहले ही 30 प्रतिशत अधिक का टेंडर आने की आशंका

    -अधिकारियों की बेतरतीब कार्यप्रणाली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रकल्प का खाका तैयार करते समय ही सलाहकार की ओर से जमीन आदि के संदर्भ में छानबीन किया जाना था. 

    -यदि सलाहकार की ओर से सटीक प्रस्ताव तैयार किया गया होता तो मनपा को इस नुकसान से बचाया जा सकता था. इस तरह की लापरवाही होने के बावजूद न तो सलाहकार और न ही उस समय के अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के संकेत स्थायी समिति की ओर से दिए गए. 

    -आश्चर्यजनक यह है कि पहले 8.23 करोड़ की लागत से अलग-अलग 2 टंकियां बननी थीं किंतु प्रस्ताव बदलने के बाद टेंडर बुलाने से पहले ही अधिकारियों ने 30 प्रतिशत अधिक राशि का टेंडर आने की आशंका जताई थी. 

    -आलम यह रहा कि 11.50 करोड़ का नया प्राक्कलन तैयार कर विभाग ने 22 जुलाई 2021 को ही मनपा से मंजूरी भी प्राप्त कर ली. तमाम लापरवाही के बावजूद मेसर्स एस.एम.सी. इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. कम्पनी के टेंडर को मंजूरी प्रदान कर दी गई.