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    नागपुर. हत्या के एक मामले में बचाव पक्ष के गवाह के बयान दर्ज करने के बाद पुन: बयान के लिए बुलाने की सरकारी पक्ष को अनुमति प्रदान की गई. सत्र न्यायालय द्वारा दिए गए इस आदेश को चुनौती देते हुए नामदेव शितोडे ने हाई कोर्ट में अपील दायर की. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अविनाश घारोटे ने जहां पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए, वहीं सत्र न्यायालय की सुनवाई पर अस्थायी रोक लगा दी. अदालत ने 3 मार्च तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.

    याचिकाकर्ता की ओर से अधि. आरके तिवारी ने पैरवी की. अभियोजन पक्ष के अनुसार 4 अप्रैल 2014 को मनोज शर्मा नामक व्यक्ति की हत्या की गई थी. मामले में बाला बबन शितोले और अन्य के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया जिसके बाद सत्र न्यायालय में सुनवाई शुरू हुई.

    गवाह का बदल गया बयान

    सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सत्र न्यायालय में चल रही सुनवाई के दौरान गवाहों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं. बचाव पक्ष ने उनके गवाह नितिन टाले का बयान दर्ज किया. नियमों के अनुसार सरकारी पक्ष की ओर से भी इस गवाह से जवाब तलब किया गया. कई बार बयान लिए गए. बयान के लिए लंबा समय लेने के बाद भी पुन: सत्र न्यायालय के पास अर्जी कर इस गवाह के बयान दर्ज करने की अनुमति मांगी. सरकारी पक्ष का मानना था कि गवाहदार ने पुलिस में बयान के विपरीत बयान दर्ज किया है.

    सरकारी पक्ष की दलील पर सत्र न्यायालय ने सरकारी पक्ष को पुन: बयान दर्ज करने का अवसर प्रदान किया जो तर्कसंगत नहीं है. अधि तिवारी ने कहा कि मामला दर्ज करने के बाद जांच के दौरान नितिन टाले का बयान दर्ज किया गया था किंतु सरकारी पक्ष ने अदालत में उसका बयान दर्ज नहीं किया. इसके अलावा पुलिस के सामने दिए बयान न्यायालय में सबूत के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है जिससे बचाव पक्ष के गवाह से पुन: पूछताछ की अनुमति देना उचित नहीं है. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया.