Cyclone Yaas: Yaas predicted to knock near Odisha's Dhamra port on Wednesday morning, NDRF deploys most teams yet
Image:Twitter/@satyaprad1

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    •  2012 में खरीदी थी जमीन
    • 2015 में फिर आया प्रस्ताव
    • 2018 में मिली मंजूरी 
    • 2020 में भूमि पूजन

    नागपुर. देश में आपदा से निपटने के लिए नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) के अधीन नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) बनाई गई. आईटीबीपी, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ के जवानों को आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग देकर एनडीआरएफ में शामिल किया गया. आपदा कभी भी और किसी भी प्रकार की हो सकती है. इसीलिए ट्रेनिंग भी जरूरी है. ज्यादा से ज्यादा लोगों को आपदा प्रबंधन के लिए तैयार करना भी आवश्यक है.

    देश के विभिन्न हिस्सों में एनडीआरएफ को मजबूत बनाने की लिए जमीन खरीदी गई. 2012 में एनडीआरएफ अकादमी की संकल्पना रखी गई और कोराड़ी मंदिर के पीछे सुरादेवी परिसर में राज्य सरकार से 18.61 करोड़ रुपये में 153 एकड़ जमीन खरीदी गई. जमीन खरीदने के बाद अकादमी का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया. 2015 में दोबारा इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार के गृह विभाग के समक्ष रखा गया और केबिनेट की मंजूरी मिलते-मिलते 2018 आ गया.

    उस समय जमीन पर आसपास के गांववालों का अतिक्रमण हुआ करता था. जैसे-तैसे पूरी जमीन एनडीआरएफ ने अपने कब्जे में ली. 2 जनवरी 2020 को गृह मंत्री अमित शाह ने एनडीआरएफ अकादमी का भूमि पूजन किया. 2022 तक अकादमी का काम पूरा हो जाना था, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि अब तक निर्माण कार्य केवल फाउंडेशन तक पहुंचा है.  

    पहले NFSC के साथ शुरू करने की कोशिश

    वैसे सीएजी (महा लेखा नियंत्रक) की एक रिपोर्ट की मानें तो एनडीएमए ने 2007 में ही नागपुर में एनडीआरएफ अकादमी शुरू करने का प्रस्ताव रखा था. राज्य सरकार और जिला प्रशासन के साथ समन्वय करते-करते समय बीतता गया. पहले जमीन की कीमत 16.13 करोड़ रुपये थी, लेकिन एनडीएमए की लेटलतीफी के चलते वर्ष 2012 में जमीन 18.61 करोड़ रुपये में खरीदी गई. देरी और मंजूरी के चलते 2.68 करोड़ रुपये ज्यादा देने पड़े.

    इसके बाद गृह मंत्रालय ने एनडीआरएफ अकादमी को एनसीडीसी या नेशनल फायर सर्विस कॉलेज (एनएफएससी) के साथ शुरू करने की योजना लाई. जबकि स्वतंत्र संस्थान बनाने के लिए पहले ही करोड़ों रुपये की जमीन खरीदी जा चुकी थी. सीएजी ने इस पर ऐतराज जताया था. एनएफससी का निर्माण काम पूरा होने के साथ ही शाह ने उद्घाटन किया और एनडीआरएफ अकादमी की नीव रखीं. 

    NCDC में हुआ विलय

    वर्ष 1957 में सरकार ने केंद्रीय आपातकालीन राहत प्रशिक्षण संस्थान (सीईआरटीई) की स्थापना की थी. यह देश का पहला आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण संस्थान था. 1962 से 1965 के बीच हुई संघर्ष के बाद भारत सरकार ने युद्ध और आपातकालीन परिस्थितियों में जानमाल का नुकसान कम हो इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया और 1968 में सीईआरटीई का नाम बदलकर नेशनल सिविल डिफेंस कॉलेज कर दिया गया. तब से देश की विभिन्न पेरा मिलिटरी फोर्सेस को यहां नागरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग दी जा रही थी.

    वर्ष 2003-04 में एनसीडीसी को परमाणु, जैविक और रासायनिक आपदा से निपटने की ट्रेनिंग देने की जिम्मेदारी सौंपी गई. फोर्सेस को प्रशिक्षण देने के साथ ही एनसीडीसी ने करीब 1 लाख स्वयंसेवकों को भी आपदा से निपटने के लिए तैयार किया. लेकिन 2018 में एनडीआरएफ अकादमी को मंजूरी के साथ ही एनसीडीसी में विलय कर दिया गया. तब से एनसीडीसी के परिसर में ही एनडीआरएफ अकादमी चल रही है. एनसीडीसी के 8 एकड़ के परिसर में आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग दी जा रही है.  

    लॉकडाउन से धीमी हुई गति  

    पहले तो अफसरशाही में समन्वय की कमी के चलते फिर मंत्रालय के उदासीन रवैये ने अकादमी का काम प्रलंबित कर दिया. जैसे-तैसे बीते वर्ष काम शुरू हुआ तो कोरोना के लॉकडाउन गति धीमी कर दी. लॉकडाउन के चलते मजदूरों की भी कमी थी. अकादमी परिसर का मुआयना करने पर 8 स्थानों पर कार्य जारी होने का पता चला. यहां फिलहाल फाउंडेशन पूरा हुआ है. अंतरराष्ट्रीय मापदंडों को ध्यान में रखते हुए इस अकादमी का निर्माण किया जा रहा है.

    इसीलिए यहां ट्रेनिंग भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की होगी. सभी प्रकार की आपदाओं से निपटने के लिए यहां फोर्सेस को तैयार किया जाएगा. सार्क और अन्य देशों की आपदा प्रतिक्रिया एजेंसियों के अलावा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य हितधारकों के साथ सालाना 5,000 से अधिक कर्मियों को कौशल आधारित व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन काम कब पूरा होता है यह तो वक्त ही बताएगा.

    यह हितधारकों की बदलती जरूरतों और आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विश्लेषण और सुधार भी करेगा. बयान में कहा गया है कि यह एनडीआरएफ, एसडीआरएफ कर्मियों और अन्य हितधारकों को आपदा प्रतिक्रिया पर दिए जाने वाले प्रशिक्षण के स्तर में काफी सुधार करेगा.