रणजीत सफेलकर 
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रणजीत सफेलकर FILE PIC

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    • सुलझी आर्किटेक्ट की हत्या की गुत्थी….
    • फुल प्रूफ प्लानिंग के साथ दिया घटना को अंजाम
    • दो बार दी गई सुपारी की रकम 
    • मार्निंग वाक के दौरान मारी थी गोली 
    • जमीन विवाद बना मौत का कारण
    • सीबीआई को सौंपी गई थी जांच
    •  सीबीआई ने की थी 5 लाख के इनाम की घोषणा

    नागपुर. लगभग साढ़े 4 साल बाद ही सही, लेकिन शहर पुलिस ने शहरभर में हड़कंप मचाने वाले आर्किटेक्ट एकनाथ नीमगड़े हत्याकांड की गुत्थी सुलझा ही ली. सुराग मिलने के बाद पिछले कई दिनों से पुलिस युद्धस्तर पर जांच में जुटी हुई थी और आखिर सच्चाई बाहर आ गई. नीमगड़े की हत्या की सुपारी 5 करोड़ रुपये में दी गई थी. सुपारी लेने वाला और कोई नहीं चर्चित अपराधी और श्रीराम सेना का अध्यक्ष रणजीत सफेलकर है. रणजीत ही इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड है, जो फिलहाल वह पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.

    इस मामले में पुलिस अब तक 9 आरोपियों से पूछताछ कर चुकी है. अहम जानकारी हाथ लगी है लेकिन नीमगड़े के बेटे की मांग पर यह प्रकरण जांच के लिए सीबीआई को हस्तांतरित कर दिया गया था. आगे की कार्रवाई और जांच भी सीबीआई ही करने वाली है. इस हत्याकांड में सफेलकर के अलावा उसका दाहिना हाथ माने जाने वाले कालू उर्फ शरद हाटे, नब्बू उर्फ नवाब छोटे साहब अशरफी, मोशू अशरफी, शहबाज अशरफी, राजा पीओपी, परवेज, कल्लू और बाबा का नाम सामने आया है. 

    प्लान में शामिल थे 14 आरोपी

    सीपी अमितेश कुमार ने बताया कि शहर में कई वर्षों से अनसुलझे हत्याकांड और बड़ी वारदातों की पुनर्जांच के निर्देश क्राइम ब्रांच को दिए गए थे. डीआईजी सुनील फुलारी और डीसीपी गजानन राजमाने के मार्गदर्शन में अलग-अलग टीमें काम पर लगी हुई थीं. इसके साथ ही शहर के सारे अपराधियों की कुंडली तैयार की जा रही थी. उनकी गतिविधियों का पता लगाया जा रहा था. क्राइम इंटेलिजेन्स के जरिए पुलिस अलग-अलग अपराधियों से जानकारी इकट्ठा कर रही थी. ऐसे में कुछ जानकारी हाथ लग गई. पुलिस ने उस पर काम किया. समय-समय पर पूछताछ के लिए आरोपियों को बुलाया गया और आखिर सफलता हाथ लगी. कुल 14 आरोपियों का समावेश होने की बात सामने आई है. सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 

    1.20 करोड़ देने के बाद भी नहीं हुआ काम

    बताया जाता है कि रणजीत और कालू ने इस काम के लिए नब्बू को चुना था. नब्बू ने काम करने की हामी दी थी. उस समय मोशू भी साथ था. दोनों ने राजा पीओपी से काम करवाने की बात कही थी. जुलाई में पहले 20 लाख रुपये एडवान्स दिए गए. वे लोग नीमगड़े की रेकी में लग गए. वह कब कहां जाते हैं इसकी पूरी निगरानी की जा रही थी. समय-समय पर रणजीत और कालू उन्हें रकम देते रहे. 1.20 करोड़ रुपये दिए जाने के बावजूद काम नहीं होने पर रणजीत नाराज था. उसने नब्बू को बुलाकर पिटाई भी की थी.

    इसके बाद कुछ और रकम दी गई और आनन-फानन में नब्बू ने अन्य आरोपियों को साथ लेकर 6 सितंबर को मॉर्निंग वॉक करके लौटते समय नीमगड़े को मारने का प्लान बनाया. कमाल चौक से नीमगड़े के घर तक आरोपी फैले हुए थे. उनका फोटो सभी को उपलब्ध करवाया गया था. गांधीबाग के लाल इमली परिसर में राजा और परवेज दुपहिया वाहन पर पहुंचे. दोनों में से एक ने नीमगड़े को गोली मारी और फरार हो गए. इसके बाद 50 लाख रुपये और दिए गए. लगभग 1.70 करोड़ रुपये का व्यवहार हुआ.  

    वर्धा रोड स्थित जमीन का विवाद

    सीपी ने बताया कि फिलहाल हत्या के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है. जमीन को लेकर विवाद होने की जानकारी सामने आई है लेकिन रणजीत को सुपारी देने वाला कौन था? यह पता नहीं चल पाया है. रणजीत की गिरफ्तारी के बाद ही कुछ पता चल पाएगा. कुल 5 करोड़ रुपये की सुपारी दी गई थी लेकिन आरोपियों को केवल 1.70 करोड़ रुपये दिए गए. इसे लेकर भी कुछ आपसी नाराजी चल रही थी.

    सूत्रों की मानें तो वर्धा रोड पर स्थित साढ़े 5 एकड़ जमीन की कीमत करोड़ों रुपयों में है. इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर नीमगड़े हिंदुस्तान ट्रैवल्स के संचालक सिद्दीकी, पायोनियर इंफ्रास्ट्रक्चर के अरुण नायर और ग्रीन लिवरेज के मालिक गुप्ता से चल रहा था. इन सभी से सीबीआई और नागपुर पुलिस पहले पूछताछ कर चुकी है.

    प्रकरण की जांच सीबीआई के पास होने के कारण पुलिस ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया है. मुंबई सीबीआई के अधिकारी नागपुर पहुंच चुके हैं. आगे की जांच सीबीआई टीम करेगी. इस प्रकरण में आरोपियों का पता बताने वालों के लिए सीबीआई ने 5 लाख रुपये इनाम की घोषणा की थी. यह राशि क्राइम ब्रांच को ही मिलेगी.