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    नागपुर. क्राइम ब्रांच के मानव तस्करी विरोधी दस्ते ने गोपनीय जानकारी के आधार पर नवजात बच्ची की बिक्री करने वाले 8 लोगों को जाल बिछाकर गिरफ्तार किया. बच्ची की खरीद-फरोख्त में एक डॉक्टर और बच्ची के माता-पिता भी शामिल थे. पकड़े गए आरोपियों में लश्करीबाग निवासी हिवंका उर्फ वर्षा फत्तूलाल मेश्राम (52), झाड़े चौक, बस्तरवाड़ी निवासी रत्ना धर्मेंद्र भालाधरे (33), कोहले लेआउट, खड़गांव रोड निवासी विपिन सिद्धार्थ उके (34), मिनीमातानगर निवासी सीमा तुलसीदास पित्रोदा (48), बंसीनगर, भांडेवाड़ी निवासी अमोल उर्फ ज्योतिपाल सिद्धार्थ रंगारी (33), नया नकाशा, लश्करीबाग निवासी मंगला मोहन तांबे (53), कश्मीरी गली, पांचपावली निवासी सिंड्रेला उर्फ नेहा मोहन सिंह सहगल उर्फ सिंड्रेला मुकुल वासनिक (21), बोरकर लेआउट, निर्मल कॉलोनी निवासी मुकुल सुरेश वासनिक (22) और हिवरीनगर निवासी डॉ. कल्याणी डेविड थॉमस (48) का समावेश है. 

    शिक्षण के लिए नहीं चाहती थी बच्चा

    बताया जाता है कि सिंड्रेला और मुकुल ने करीब 1 वर्ष पहले प्रेम विवाह किया था. इसी बीच वह गर्भवती हो गई. कम उम्र में वह मां नहीं बनना चाहती थी. वह अपना ग्रेजुएशन पूरा कर नौकरी करना चाहती थी लेकिन शुरुआत में उसे कुछ पता नहीं चला. डॉ. कल्याणी से संपर्क करने पर उसे गर्भवती होने का पता चला लेकिन तब तक 5 महीने बीत चुके थे. ऐसे में गर्भपात करवाना संभव नहीं था. डॉक्टर ने उसे बच्चे को जन्म देने को कहा लेकिन वह बच्चा नहीं चाहती थी. इसीलिए डॉक्टर ने बीच का रास्ता निकाला और कहा कि बच्चे के जन्म लेने के बाद उसे किसी को दे देंगे. तब बच्चा कौन लेगा, यह समस्या सामने आई. एक-एक कर आरोपी जुड़ते गए. बच्चे को बेचकर पैसे कमाने का प्लान बनाया गया. सभी का कमीशन तय हो चुका था. 

    पुलिस ने बिछाया जाल 

    इस बीच मानव तस्करी विरोधी दस्ते की इंस्पेक्टर नंदा मनगटे को जानकारी मिली कि कुछ लोग नवजात बच्ची का सौदा कर रहे हैं. आला अधिकारियों से चर्चा कर मानव तस्करी करने वाले इस गिरोह को पकड़ने की योजना बनाई गई. सामाजिक कार्यकर्ताओं को फर्जी ग्राहक बनाया गया. 3 लाख रुपये में सौदा तय किया गया. कागज के बंडल तैयार किए गए. सोमवार को दोपहर में पुलिस दस्ते ने जिलाधिकारी कार्यालय के पास जाल बिछा लिया.

    वर्षा मेश्राम 5 दिन की बच्ची को लेकर वहां पहुंची. जैसे ही उसने बच्ची को सौंपकर पैसे लिए पुलिस दस्ते ने उसे दबोच लिया. माता-पिता और डॉक्टर को छोड़कर अन्य आरोपी भी आस-पास ही खड़े थे. पुलिस ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में डॉ. कल्याणी और बच्ची की मां सिंड्रेला और पिता मुकुल का पता चला. विविध धाराओं के तहत मामला दर्ज कर सभी आरोपियों को सदर पुलिस के हवाले किया गया. 

    7 दिन की पुलिस हिरासत

    मंगलवार को पुलिस ने आरोपियों को न्यायालय में पेश किया. बच्चे का जन्म कब और कहां हुआ? इस मामले में और कितने लोग शामिल हैं? किसकी क्या भूमिका थी आदि मुद्दों पर पुलिस हिरासत मांगी गई. बचाव पक्ष के अधिवक्ता लुबेश मेश्राम ने पीसीआर का विरोध किया. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलील के बाद आरोपियों को 7 दिन की पुलिस हिरासत मंजूर की.

    डीसीपी चिन्मय पंडित और एसीपी रोशन पंडित के मार्गदर्शन में इंस्पेक्टर नंदा मनगटे, ललिता तोड़ासे, एपीआई गजानन चांबारे, हेड कांस्टेबल राजेंद्र अटकले, ज्ञानेश्वर ढोके, मनीष पराये, सुनील वाकड़े, सुधीर तिवारी, शरीफ शेख, मनीष रामटेके, चेतन गेडाम, आरती चव्हाण, प्रभा खानजोड़े, शुभांगी दातिर, पल्लवी वंजारी, प्रतिमा मेश्राम और वर्षा हटवार ने कार्रवाई को अंजाम दिया.