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    नागपुर. राज्य में चल रही सत्ता की उठापटक और नई सरकार के संकेत को देखते हुए अब राज्य चुनाव आयोग ने भी रुख बदल दिया है. इसका जीता जागता उदाहरण है कि तय प्रक्रिया के अनुसार ओबीसी आरक्षण की लाटरी निकाले जाने के बाद 5 अगस्त को इसकी अंतिम घोषणा करना था. किंतु राज्य चुनाव आयोग ने महानगरपालिका को पत्र भेजकर फिलहाल अंतिम घोषणा पर रोक लगा दी है. इस तरह से आम चुनाव को लेकर अब तक की गई प्रक्रिया पूरी तरह से थम गई है. जानकारों के अनुसार राज्य के सत्ता संघर्ष में न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका एक दूसरे के खिलाफ खड़ी दिखाई दे रही है. सर्वोच्च न्यायालय की ओर से स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया पूरी करने की हिदायतें दी गई थीं. जिसके अनुसार प्रक्रिया पूरी की गई. किंतु सत्ता परिवर्तन के बाद आयोग ने इसे रोक दिया. 

    घट जाएगी मनपा की सीटें

    अधिकारिक सूत्रों के अनुसार राज्य मंत्रिमंडल की ओर से महानगरपालिकाओं में नए सिरे से सदस्य संख्या निर्धारित करने का निर्णय लिया गया. जनसंख्या के आधार पर अब इसका निर्धारण किया जाना है. अत: जिस तरह का फार्मूला मंत्रिमंडल की ओर से उजागर किया गया, उसके अनुसार मनपा की सीटें घटना निश्चित है. वर्ष 2017 के अनुसार ही मनपा में 151 सीटें होंगी. जिससे 5 सीटों का नुकसान होगा.जानकारों के अनुसार वैसे ही राज्य चुनाव आयोग 2011 की जनसंख्या को आधार बनाकर सदस्य संख्या निश्चित कर रहा है. 11 वर्षों के इस काल में निश्चित ही मतदाता संख्या बढ़ी होगी. ऐसे में मतदाताओं के मताधिकार का हनन हो रहा है. साथ ही सिटी को आवश्यकता अनुसार जनप्रतिनिधि नहीं मिल रहे हैं. 

    समय और पैसा भी बर्बाद

    जानकारों के अनुसार आम चुनाव के लिए पूरी की जानेवाली प्रक्रिया में पैसों के अलावा समय भी काफी लगता है. मार्च में कार्यकाल खत्म होने के बाद प्रक्रिया शुरू हो जानी थी. किंतु कुछ कारणों से यह टल गई. जिसके बाद से लगभग 6 माह का समय बीत गया, किंतु यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. प्रभाग रचना से लेकर ओबीसी आरक्षण निर्धारित करने के लिए राज्य चुनाव आयोग और मनपा को काफी समय लग गया. अब पुन: इसी तरह की प्रक्रिया पूरी करना है. ऐसे में फिर एक बार प्रक्रिया पर समय और पैसा बर्बाद होने की नाराजगी जताई जा रही है.

    पूरी प्रक्रिया को लगते हैं 3 माह

    बताया जाता है कि नियमों के अनुसार चुनाव की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कम से कम 3 माह का समय लगता है. यदि तुरंत प्रभाव से नई प्रभाग रचना के लिए आदेश जारी होते है तो ही अक्टूबर के अंत तक चुनाव संभव हो सकेंगे. अन्यथा चुनाव आगे बढ़ जाएंगे. चूंकि राज्य का मंत्रिमंडल विस्तार अटका हुआ है. अत: महानगरपालिका के चुनाव को लेकर नए निर्णय होने पर भी अब प्रश्नचिन्ह लग गया है. मनपा में फिलहाल प्रशासक की नियुक्ति की गई है. विधि के जानकारों के अनुसार प्रशासक की नियुक्ति का कार्यकाल केवल 6 माह निर्धारित है. ऐसे में 5 अगस्त को ही प्रशासक का कार्यकाल पूरा हो गया है. अत: प्रशासक के संदर्भ में सरकार की ओर से क्या निर्णय लिया जाता है, उस पर सभी की नजरें लगी हुई हैं.