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    नागपुर. राज्यभर में स्थानीय निकायों के चुनाव लंबित होने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा फटकार लगते ही राज्य चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया. आलम यह रहा कि 3 सदस्यीय प्रभाग रचना के अनुसार न केवल प्रभागों की रचना तय हुई बल्कि आरक्षण भी तय किया गया. इसके बाद अंतिम प्रक्रिया में प्रभागों के अनुसार मतदाता सूची भी निश्चित हुई है.

    अब केवल अंतिम मतदाता सूची की घोषणा सप्ताह के अंत तक करना है. किंतु राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के 2 दिनों बाद ही भाजपा ने पुणे और पिंपरी चिंचवड महानगरपालिकाओं के लिए प्रभाग पद्धति बदलने का राग आलापना शुरू कर दिया जिससे नागपुर महानगरपालिका के लिए भी प्रभाग रचना में परिवर्तन होने की संभावना सूत्रों ने दी.

    बताया जाता है कि 2014 से 2019 के दौरान जिस तरह की प्रभाग रचना थी उसी आधार पर नये चुनाव कराने के संकेत भाजपा द्वारा दिए जा रहे हैं. राज्य चुनाव आयोग का भी मानना है कि 3 सदस्यीय प्रभाग हो या 4 सदस्यीय, इसे निर्धारित करने का अधिकार राज्य सरकार के है. 

    बारिश के बाद ही होने हैं चुनाव

    राजनीतिक जानकारों के अनुसार राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही इस तरह के बदलाव आने की पहले से प्रबल संभावना थी. ओबीसी आरक्षण का मसला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित होने के कारण राज्य चुनाव आयोग ने पहले चुनाव को लंबित रखा गया था. सुको में सुनवाई के दौरान राज्य चुनाव आयोग ने कहा था कि बारिश के मौसम में राज्य में चुनाव कराना संभव नहीं हो सकता है. कई तरह की परेशानियां होती हैं जिस पर सुको ने जहां भारी बारिश हो, वहां के चुनाव पर समय के अनुसार निर्णय लेने की स्वतंत्रता देकर चुनावी प्रक्रिया आगे बढ़ाने को कहा था. माना जा रहा है कि यदि राज्य सरकार ने प्रभाग रचना में परिवर्तन का निर्णय भी लिया तो राज्य चुनाव आयोग के पास नई प्रक्रिया को पूरी करने के लिए 3 माह का समय होगा. अत: अब इस संदर्भ में अधिकृत घोषणा पर सभी की नजरें लगी हुई हैं. 

    फिर नई प्रक्रिया, नये सिरे से आरक्षण

    जानकारों के अनुसार नागपुर महानगरपालिका के आम चुनाव फरवरी के अंतिम सप्ताह से पूर्व होने थे. किंतु ओबीसी आरक्षण का मामला अटका होने से यह संभव नहीं हो सका जिसकी वजह से अब प्रशासन का कारोबार प्रशासक के हाथों में देना पड़ा है. वर्तमान में आम चुनाव को लेकर 5 माह की देरी हो चुकी है. यदि नई प्रक्रिया और नये सिरे से आरक्षण सुनिश्चित करना पड़ा तो आम चुनाव अक्टूबर के बाद ही होने के आसार हैं. जानकारों के अनुसार 3 सदस्यीय प्रभाग रचना के बाद बदले समीकरणों के अनुसार कई कार्यकर्ताओं ने रणनीति बदली थी. अब पुन: प्रभाग रचना बदलने पर परेशानियां खड़ी होने की संभावना जताई जा रही है.