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नागपुर. हालांकि स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण और उसके साथ ही मनपा चुनाव के लिए प्रभाग संरचना का मामला अदालत में है. जब तक अदालत इन पर कोई निर्णय नहीं देती तब तक चुनाव कब होंगे, यह निश्चित नहीं होगा. लेकिन राजनीतिक खेमों से जैसी चर्चाएं सामने आ रही हैं उस हिसाब से मनपा चुनाव बारिश के खत्म होते ही सितंबर महीने में कराए जा सकते हैं. इसी हिसाब से ही सभी दल अपनी तैयारी में जुट गए हैं. नागरिकों को सुबह-सुबह पूर्व पार्षदों व संभावित उम्मीदवारों के गुड मार्निंग के मैसेजेस भी आना शुरू हो गए हैं. सत्ताधारी दल हो या विपक्ष सभी की ओर से घोषणाओं, भूमिपूजन व सभाओं की बाढ़ सी सिटी में आ गई है. बड़े-बड़े नेताओं द्वारा पार्टी पदाधिकारियों की बैठकें लेकर चुनाव के संदर्भ में मार्गदर्शन का सिलसिला भी तेज हो गया है.

सत्ता पलटाने का दावा

बीते 15 वर्षों से मनपा में भाजपा की सत्ता रही है लेकिन अब विपक्षी नेताओं द्वारा दावा किया जा रहा है कि इस चुनाव में मविआ के घटक दल साथ मिलकर चुनाव लड़ें तो यहां सत्ता पलटी जा सकती है. भीतरखाने की मानें तो भाजपा द्वारा जो सर्वे करवाया गया है उससे भी उसे निराशा हाथ लगी है. यही कारण है कि चुनावों के पहले ही शहर विकास व विविध प्रकल्पों व जनसुविधाओं के लिए हजारों करोड़ रुपयों की घोषणा की जा रही है. भूमिपूजन, घोषणाओं की बारिश सी चल रही है. वहीं विपक्षी दलों द्वारा संगठन को बूथ स्तर पर मजबूत करने का अभियान शुरू कर दिया गया है. कांग्रेस शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे लगातार कार्यकारिणी की बैठकों में इस संदर्भ में पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं. राकां शहर अध्यक्ष दुनेश्वर पेठे और शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के प्रमुख संयोजक दुष्यंत चतुर्वेदी भी तेजी से संगठन को मजबूत करने में जुट गए हैं. सभी का कहना है कि मविआ घटक दल साथ मिलकर लड़ेंगे या नहीं यह तो आला नेता ही तय करेंगे लेकिन समय पड़ने पर सभी की अलग-अलग स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरने की तैयारी है. 

लोकसभा चुनाव तक टालने का कयास

कयास तो यह भी लग रहे हैं कि लोकसभा चुनाव तक भाजपा राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव को टाल सकती है क्योंकि वह नहीं चाहेगी कि चुनाव के विपरीत परिणामों का कोई भी असर 2024 के चुनाव पर पड़े. राज्य में शिंदे-फडणवीस गुट द्वारा जब से से सत्तापलट की गई है तभी से मविआ भी आक्रामक होकर मैदान में उतर पड़ी है. उनकी वज्रमूठ सभा में उमड़ रहा जनसमुदाय भाजपा के माथे पर बल तो जरूर दे रहा है. नागपुर में हुई सभा को रोकने के लिए जिस तरह से प्रयास किया गया उससे भी मविआ के स्थानीय नेता खुश हैं. उनका कहना है कि जनता भी समझ रही है कि कौन डर रहा है. पहले हुए विधान परिषद के लिए पदवीधर, शिक्षक निर्वाचन चुनाव क्षेत्र के साथ ही नागपुर जिला परिषद के चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को रणनीतिक तरीके से धूल चटाई है. 

ये बिगाड़ेंगे समीकरण

आगामी मनपा चुनाव में पहले मुख्यत: भाजपा व कांग्रेस के बीच ही टक्कर होती रही है लेकिन इस बार कुछ नये खिलाड़ी मैदान का समीकरण बिगाड़ने के लिए तैयार हैं. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी शहर में खुद को संगठनात्मक रूप से मजबूत करने के लिए तेज कदम बढ़ा रही है. 2 राज्यों में सरकार बनाने और 2 राज्यों में कुछ उम्मीदवारों की जीत के साथ ही वह राष्ट्रीय पार्टी बन चुकी है. आप के पदाधिकारी व कार्यकर्ता पूरे उत्साह में हैं.

कहा जा रहा है कि मनपा चुनाव में आप के पार्षदों की भी एंट्री निश्चित है. वहीं स्वतंत्र विदर्भ राज्य की मांग व विदर्भ पर अन्याय के मुद्दे पर विदर्भवादियों ने विदर्भ राज्य पार्टी गठित की है जो मनपा चुनाव में मैदान में होगी. वोटों का गणित तो यह भी बिगाड़ेगी. मविआ के अलावा अन्य छोटे दल भी अपना गठबंधन बनाने के प्रयास में लगे हैं.