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    नागपुर. उच्च न्यायालय के जस्टिस अविनाश गुणवंत घरोते ने रिश्वत लेने के आरोपी महानगर पालिका के जूनियर क्लर्क प्रकाश पटेल भ्रष्टाचार के आरोप से बरी कर दिया. इससे पहले जिला कोर्ट ने पटेल को दोषी करार दिया था जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की गई थी. पटेल की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट प्रकाश नायडू ने हाई कोर्ट को बताया कि रिकार्ड पर दर्ज तथ्यों के आधार पर जिला कोर्ट के निर्णय को चुनौती दी जा सकती है.

    निर्णय को देखकर साफ पता चलता है जिला कोर्ट रिकार्ड पर रखे गये तथ्यों और सबूतों में उलझ गया. अभियोजन पक्ष का यह मामला था कि आरोपी कर निर्धारण के सर्वेक्षण के लिए शिकायतकर्ता के घर गया था लेकिन घर अभी भी पिछले मालिक के नाम पर था. ऐसे में पटेल ने मामला दबाने के लिए शिकायतकर्ता से 1,500 रुपये से 2,000 रुपये तक की रिश्वत मांगी थी. 

    पंच के बयान व तथ्यों में भारी अंतर

    यह तर्क दिया गया था कि कथित घटनाओं की तारीखों में बड़ी विसंगतियां थीं और कथित मांग की तारीख पंचनामा के अनुरूप नहीं थी. इसके अलावा जिरह के दौरान पंच को उलझाकर उससे कहलवा दिया गया कि पटेल ने शिकायतकर्ता से रिश्वत मांगी थी. वहीं ट्रैप के बाद पंचनामा भी साक्ष्य अधिनियम के अनुरूप साबित नहीं हुआ था. इसी तरह अभियोजन पक्ष शिकायतकर्ता और पंच नंबर 1 के बयानों को साबित करने में विफल रहा था और उन बयानों पर कोई भरोसा नहीं किया जा सकता था.

    दलील दी गई कि रिश्वत की मांग की प्राथमिक जांच भी नहीं की गई थी. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस घरोते ने बयानों में विरोधाभास और सबूतों के अभाव में पटेल को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया. अभियोजन पक्ष की ओर से एडवोकेट प्रकाश नायडू, एड. सुरभि नायडू (गोडबोले) और जोसेफ बेस्टियन जबकि बचावपक्ष की ओर से एपीपी अमित चुटके ने दलीलें दीं.