नागपुर. अदानी मामले की जांच के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को आदेश देने का अनुरोध करते हुए सुदर्शन बागड़े ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की पैरवी कर रहे डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मसले पर पहले ही आदेश जारी किए गए हैं जिससे अब हाई कोर्ट द्वारा इस मामले में आदेश जारी करने का कोई औचित्य नहीं बनता है. सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश एमडब्ल्यू चांदवानी ने याचिका ठुकरा दी. याचिकाकर्ता की अधि. एसटी चव्हाण और केंद्र सरकार की अधि. एनएस देशपांडे ने पैरवी की. याचिकाकर्ता ने अदानी के शेयर की कीमतों को लेकर सेबी को जांच करने के आदेश देने का अनुरोध किया था.
सेबी ने हाथ झटके
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि अदानी ग्रुप के शेयर लिस्ट करने में नियमों का उल्लंघन हुआ है. इस संदर्भ में जांच के लिए 8 फरवरी 2023 को सेबी को ज्ञापन सौंपा गया था किंतु उसने अपने अधिकार क्षेत्र का यह मामला नहीं होने का हवाला देते हुए हाथ झटक लिए. केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया ने कहा कि विशाल तिवारी वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया मामले पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 2 मार्च को ही आदेश जारी किए हैं जिसके अनुसार भारतीय निवेशकों की सुरक्षा के लिए लगातार मार्केट में हो रहे उतार-चढ़ाव को देखते हुए एक्सपर्ट कमेटी गठित करने के आदेश दिए है. रेग्यूलेटरी फ्रेमवर्क का मूल्यांकन करने तथा उन्हें पुख्ता करने के लिए सुझाव देने के भी आदेश दिए हैं.
कानूनी प्रावधानों का उल्लेख नहीं
देश छोड़ने पर पाबंदी लगाने के उद्देश्य से अदानी ग्रुप के चेयरमैन का पासपोर्ट जब्त करने का अनुरोध याचिकाकर्ता ने किया. इस पर अदालत ने आदेश में कहा कि याचिका में इस दलील के आधार में कोई भी तथ्य नहीं रखे गए हैं. यहां तक कि न्यायिक स्तर पर इस तरह के आदेश पाने के लिए पासपोर्ट एक्ट 1967 के कानूनी प्रावधानों का उल्लेख होना चाहिए था किंतु उल्लेख नहीं है. अत: इस संदर्भ में भी राहत देने से साफ इनकार कर दिया.