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    • 2017 में विभाग की हुई थी घोषणा 
    • 25 करोड़ मिलने वाले थे 
    • 75 करोड़ के विस्तारीकरण की थी योजना 

    नागपुर. शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल को अपग्रेड करने की कई योजनाएं बनीं. कुछ साकार हुईं तो कुछ कागजों में ही दफन होकर रह गईं. इनमें से ही एक न्यूक्‍लियर मेडिसिन विभाग भी है. किसी भी बीमारी के शरीर पर होने वाले प्रभाव की पड़ताल करने वाली यह उपचार पद्धति वेदना रहित है. किसी एक जगह पर बीमारी के अंश का पता लगाने की वजह से ही इसे ‘टार्गेट थेरेपी’ के रूप में विकसित किया गया. यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति होती तो यह विभाग अब तक मेडिकल में शुरू हो जाता लेकिन घोषणा के 5 वर्ष बाद भी विभाग फाइलों में ही अटका है.

    मेडिकल में न्यूक्‍लियर मेडिसिन विभाग खोलने की घोषणा २०१७ में तत्कालीन पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने की थी. इस योजना के लिए २५ करोड़ की निधि उपलब्ध कराने का भी आश्वासन दिया था. विभाग शुरू नहीं हो पाने की वजह से कैंसर, हृदय विकार के मरीज अत्याधुनिक पद्धति के जरिए निदान से वंचित हैं. मेडिकल सहित विविध सरकारी और निजी अस्पतालों में हर वर्ष 20,000 से अधिक कैंसर ग्रस्त और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में बड़ी संख्या में हदय रोगियों का इलाज किया जाता है. हत्तीरोग के मरीजों का भी ऑपरेशन किया जाता है.

    प्रशासनिक उदासीनता

    उस वक्त के अधिष्ठाता ने मेडिकल में नये-नये विभागों की योजना तैयार की थी. जिस इलाज के लिए हैदराबाद, दिल्ली की जाने की जरूरत होती है, वही नागपुर में मिल सके, इसके पीछे का उद्देश्य था. जिले के तत्कालीन पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने मेडिकल के विस्तारीकरण के लिए ७५ करोड़ रुपये देने की घोषण की थी. पहले चरण में 2017 में २५ करोड़ मिलने वाले थे लेकिन २०१७ से २०१९ के बीच निधि उपलब्ध नहीं हो सकी. यदि विभाग तैयार हो जाता तो न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग से युक्त यह राज्य का पहला मेडिकल कॉलेज होता लेकिन प्रशासनिक उदासूनता की वजह से विभाग आकार नहीं ले सका.

    हत्तीरोग सहित हृदय, कैंसरर तक का निदान

    हत्तीरोग पर शस्त्रक्रिया के लिए न्यूक्लियर मेडिसिन प्रभावी होती है. न्यूक्लियर मेडिसिन से हृदय, किडनी, लीवर की कार्यक्षमता सहित विविध बीमारियों की स्थिति पता चलती है. कैंसर किस स्टेज में पहुंच गया है, यह मालूम होने से उपचार को दिशा मिल जाती है. थायरॉइड की बीमारी पर भी न्यूक्लियर मेडिसिन संभव होती है. गेमा कैमेरा के माध्यम से कैंसर है या नहीं, कैंसर होने पर ट्रीटमेंट को कितना प्रतिसाद मिल रहा, कितनी पेशी बाधित हुई है आदि का सूक्ष्म निरीक्षण न्यूक्‍लियर मेडिसिन से की जा सकती है. यदि किसी अवयय को नुकसान पहुंचा हो तो वह कितनी हुआ होगा, इसकी भी सटीक जानकारी मिलती है. न्यूक्‍लियर थेरेपी से सुधार के औसत का पता लगाया जा सकता है लेकिन न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग ही तैयार नहीं हो सका.