
नागपुर. नायलॉन मांजा के कारण हो रहीं दुर्घटनाओं को लेकर छपी खबरों पर स्वयं संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने इसे जनहित याचिका का रूप में स्वीकृत किया. याचिका पर हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों के अनुसार सरकारी पक्ष ने बताया कि पर्यावरण (प्रोटेक्शन) कानून 1986 की धारा 5 के तहत नायलॉन मांजा पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. तैयार किया गया ड्राफ्ट नोटिफिकेशन मंजूरी के लिए राज्य सरकार के विधि व न्याय विभाग के पास भेजा गया है. इसके बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने नियमों के अनुसार इसे जल्द लागू करने की अपेक्षा राज्य सरकार से जताई. अदालत मित्र के रूप में अधि. डीवी चौहान, मनपा की ओर से अधि. जैमिनी कासट और अन्य प्रतिवादी की ओर से अधि. महेश धात्रक ने पैरवी की.
जारी रहेगा अभियान
सुनवाई के दौरान मनपा की पैरवी कर रहे अधि. कासट ने कहा कि नायलॉन मांजा खत्म करने के लिए लोगों से अपील की गई थी जिसे अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है. सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष चित्र भी प्रेषित किए गए. नायलॉन मांजा खत्म करने के लिए मिल रहे प्रतिसाद को देखते हुए एक माह तक फिर इस अभियान को जारी रखने का निर्णय लिया गया है. अदालत मित्र ने कहा कि भले ही नायलॉन मांजा लोगों से जमा किया जा रहा हो लेकिन इसे वैज्ञानिक तरीकों से खत्म किया जाना चाहिए जिससे इसका पुन: उपयोग न हो सके. इस संदर्भ में जवाब दायर करने के लिए मनपा ने समय मांगा.
क्या कर रहा साइबर सेल
सुनवाई के दौरान अदालत ने ऑनलाइन पद्धति से नायलॉन मांजा की खरीदी-बिक्री पर पाबंदी को लेकर क्या किया जा रहा है इसकी जानकारी मांगी. सरकार की ओर से साइबर सेल द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी प्रेषित करने के लिए समय देने का अनुरोध किया गया जिसके बाद अदालत ने इस संदर्भ में हलफनामा देने के आदेश दिए. मनपा की ओर से दायर हलफनामा में बताया गया कि जिन लोगों के पास नायलॉन मांजा बचा हुआ है, उसे 7 दिनों के भीतर खत्म करने की जन अपील मनपा ने की है. यहां तक कि स्थानीय अखबारों में भी इस संदर्भ में पब्लिक नोटिस जारी किया गया है. नायलॉन मांजा को पूरी तरह से खत्म करने की दिशा में मनपा ने हरसंभव प्रयास किए हैं.