- अधिकारियों के पास नहीं मॉनिटरिंग का समय
- 2 साल से बंद हैं प्राइमरी स्कूल, कब खुलेंगे पता नहीं
नागपुर. शहर में जिन अभिभावकों के बच्चे प्राइमरी कक्षाओं में पढ़ रहे हैं वे बेहद परेशान हैं. खासकर कक्षा पहली से लेकर कक्षा 7वीं तक के बच्चों की पढ़ाई की हालत नाजुक है. वे महीने में चंद दिन ऑनलाइन पढ़ाई की खुराक तो ले रहे हैं लेकिन इससे उनके टैलेंट की सेहत पर कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है. इसका कारण सिस्टम की मॉनिटरिंग के लिए शिक्षा के विभाग के पास समय का न होना है. उसने सभी बच्चों के भविष्य की नौका ऐसे शिक्षकों को पार करने की जिम्मेदारी दे दी जिन्हें खुद की मंजिल का पता नहीं है.
इस भयावह स्थिति ने अभिभावकों का ब्लड प्रेशर बढ़ा दिया है. उनके सामने गंभीर संकट पैदा हो गया है. सरकार प्राइमरी स्कूल खोल नहीं रही. ऑनलाइन कक्षाओं से पढ़ाई का चलन फ्लॉप हो गया है. निजी स्कूलों ने जहां इस सिस्टम को फीस वसूली का साधन बना रखा है वहीं यह व्यवस्था सरकारी शिक्षकों के लिए काम न करने का बहाना बन गई है. दोनों ही हालात में नुकसान छात्र को उठाना पड़ रहा है. इस मामले में अभिभावकों ने सरकार से प्राइमरी स्कूल खोलने की मांग भी की लेकिन फिलहाल उनकी कोई सुनवाई नहीं हो पाई है.
क्यों जरूरी हैं प्राइमरी स्कूल
किसी भी बच्चे के लिए प्राइमरी शिक्षा बेहद जरूरी होती है. यह शिक्षा ऑफलाइन कक्षाओं में ही बेहतर तरीके से दी जा सकती है क्योंकि स्कूल में जब बच्चा पढ़ने के लिए जाता है तो वह घर से मन बनाकर जाता है. साथ ही वह कक्षा में अपने विषय को ध्यान से पढ़ सकता है. विषय से जुड़ी किसी भी उलझन को टीचर के माध्यम से समझ सकता है. ऑनलाइन कक्षाओं में बच्चा पढ़ने के लिए कक्षा में शामिल तो होता है लेकिन ऑफलाइन की तुलना में यह क्लास उसकी समझ से बाहर चली जाती है. टीचर भी बच्चों को समझ नहीं पाते, साथ ही बच्चा भी ड्यूटी पूरी करता है. इसलिए प्राइमरी स्कूल खुलना बेहद जरूरी है.
मॉनिटरिंग का अभाव
स्कूल शिक्षा विभाग ने भले ऑनलाइन स्टडी को मंजूरी दे दी है लेकिन उसकी मॉनिटरिंग करना भूल गया है. इस पद्धति से बच्चों को क्या लाभ हुआ है? इसका कोई सटीक डेटा सरकार के पास उपलब्ध नहीं है लेकिन इन ऑनलाइन कक्षाओं के कारण बच्चों की जीवनशैली अनियमित हो गई है. उनकी याद करने की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ा है. इस बात के प्रमाण अभिभावक चीख-चीख कर दे रहे हैं. वे सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर छोटे बच्चों के स्कूल क्यों नहीं खोले जा रहे हैं? लेकिन सरकार और विभाग ने मौन धारण कर रखा है. इससे अभिभावक बेहद निराश हैं. फिलहाल उन्हें अपनी इस समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा है.
पढ़ाई पर कोई असर नहीं
प्राइमरी कक्षाओं में ऑनलाइन पढ़ाई ने छात्रों का बहुत नुकसान किया है. इस सिस्टम ने सिर्फ अभिभावकों की जेबें ढीली की हैं. बच्चों की पढ़ाई पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है. सरकार को चाहिए कि अब बच्चों के स्कूल खोल दें.-अनूप भार्गव, अभिभावक
ऑफलाइन कक्षाएं शुरू हों
ऑनलाइन कक्षाओं का बच्चों पर क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ा ऐसा कोई डेटा शिक्षा विभाग के पास नहीं. अधिकारियों को पता है कि यह सिस्टम फेल है. फिर भी सरकार स्कूल खोलकर ऑफलाइन कक्षाएं शुरू नहीं कर रही. – आकाश सक्सेना, अभिभावक
घर बैठे चला रहे नौकरी
ऑनलाइन सिस्टम से सिर्फ आईटी कंपनियों के साथ निजी स्कूलों को लाभ है. वहीं कुछ सरकारी टीचरों की दो साल घर बैठे नौकरी चल गई लेकिन बच्चे पढ़ाई में पिछड़ गए हैं. वे अब मेहनत नहीं करना चाहते. ये बहुत खतरनाक स्थिति है.- पुष्पेन्द्र झा, अभिभावक