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    नागपुर. इसी जुलाई की 17 तारीख को  मौजूदा जिप अध्यक्ष रश्मि बर्वे का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. उसके बाद अगला अध्यक्ष ओपन वर्ग से मिलने की अधिक संभावना बन रही है. हालांकि रोटेशन पद्धति से आरक्षण निकाला गया तो ओपन के साथ ही एसटी वर्ग का आरक्षण निकलने की संभावना भी है. बीते कुछ वर्षों की बात करें तो जिला परिषद में ओबीसी पुरुष, महिला, एससी महिला का आरक्षण निकल चुका है. रमेश मानकर, सुरेश भोयर, संध्या गोतमारे, निशा सावरकर और उसके बाद रश्मि बर्वे अध्यक्ष बनी हैं.

    जानकारों की मानें तो अब ओपन या एसटी को चांस मिल सकता है. हालांकि राज्य के 6 जिला परिषदों के ही अध्यक्ष पद का आरक्षण निकालना शेष है. अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने के 6 महीने पहले ही आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए लेकिन सरकार ने अब तक ऐसा नहीं किया है. जिसके चलते संभ्रम की स्थिति भी बनी हुई है.

    OBC आरक्षण का असर नहीं

    जिप परिसर में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि स्थानीय निकाय संस्थाओं में ओबीसी वर्ग के आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अमान्य कर दिये जाने का असर भी जिप अध्यक्ष आरक्षण पर पड़ेगा लेकिन जानकारों का कहना है कि जिप अध्यक्ष पद आरक्षण के संदर्भ में इसका कोई लेनादेना नहीं है. बावजूद राज्य सरकार ने अब तक अध्यक्ष पद के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी क्यों नहीं की यह समझ से परे है. क्योंकि आरक्षण घोषित होने के बाद आक्षेप लेने के लिए 1 महीने का समय दिया जाता है. अगर कोई आक्षेप हो तो उसकी सुनवाई व निपटारे में समय लगता है. बताया जा रहा है कि सरकार मई महीने में आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर सकती है. वर्तमान अध्यक्ष का कार्यकाल 17 जुलाई का पूरा हो रहा है. उनके बाद दूसरा अध्यक्ष कुर्सी बिठाना भी जरूरी होगा.

    लगे हैं कई कतार में

    बीते 3 कार्यकाल से जिप अध्यक्ष पद की कुर्सी पर महिलाओं का ही राज है. उस पर भी निशा सावरकर को तो चुनाव लटकने के कारण काफी लंबा समय अध्यक्ष पद पर बैठने को मिला था. पुरुष सदस्यों को अध्यक्ष बनने का अवसर महिला आरक्षण के कारण नहीं मिल पाया है. अगर ओपन वर्ग का आरक्षण निकला तो सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस में कई सदस्य कतार में हैं. सीनियर सदस्य नाना कंभाले से लेकर प्रकाश खापरे, दुधराम सव्वालाखे, अरुण हटवार कतार में हैं. इनके अलावा महिलाओं में भी कुंदा रारूत, अवंतिका लेकुरवाले, शांता कुमरे, मुक्ता कोकर्डे का नाम भी चल रहा है. हालांकि अगर एसटी वर्ग का आरक्षण निकलता है तो शांता कुमरे और मुक्ता कोकर्डे को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने का मौका मिल सकता है.

    पार्टी में गुटबाजी भी नजर आई है. आमसभा में पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों ने ही कुछ मुद्दों पर अध्यक्ष की घेराबंदी कर अपने नेता को अपरोक्ष रूप से यह संदेश देने का प्रयास किया था कि हम भी हैं, हमारा भी ध्यान रखिये. यह तो सर्वविदित है कि जिप में केदार का गुट का ही कब्जा है और उसी गुट से अगला अध्यक्ष भी होगा. बस इंतजार आरक्षण की प्रक्रिया का है.