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    • डेस्क-बेंच पलटा, माइक व फाइलें फेंकी

    नागपुर. जिला परिषद में नये पदाधिकारियों की पहले आमसभा में विपक्षियों को सत्तापक्ष के बागी सदस्यों का साथ मिलने के चलते हौसला बुलंद रहा. किसानों को मुआवजा, मुआवजा वितरण में धांधली, घोटालों की जांच, निधि वितरण में भेदभाव जैसे अनेक मुद्दों पर विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष के नाराज सदस्यों ने भी अपने ही पदाधिकारियों को घेरते हुए जवाब मांगे.

    कुछ मामलों में संबंधित विभाग के अधिकारियों पर भी सदस्य बरसे. अध्यक्ष मुक्ता कोकड्डे को सवालों के जवाब देने को शब्द नहीं थे जिसके चलते उपाध्यक्ष कुंदा राऊत, सभापति अवंतिका लेकूरवाले ने उनकी जगह मोर्चा संभाला. शाम तक चली सभा में कई बार विपक्ष व सत्ताधारी सदस्य एक दूसरे से भिड़ते नजर आए लेकिन अंत में जब सभा की विषयसूची में शामिल 1 से 10 तक विषयों को बहुमत के आधार पर मंजूर-मंजूर कर सभा समाप्ति की घोषणा कर अध्यक्ष सदन के बाहर निकल गईं तो विपक्ष के साथ ही बागी सदस्य भी भड़क उठे.

    विपक्षी नेता आतिष उमरे ने आरोप लगाया कि विवादास्पद सदस्य डडमल के अवकाश सहित अन्य मुद्दे थे जिस पर हम चर्चा करना चाहते थे लेकिन अध्यक्ष ने सब मंजूर कर लिया. इस रवैये के बाद तो उमरे, शिवसेना के संजय झाड़े, कांग्रेस के बागी नाना कंभाले सहित विरोधी सदस्य भड़क उठे और पानी की बोतलें, माइक, प्रोसिडिंग की फाइलें फेंक कर गुस्सा जताया. इतना ही नहीं डेस्क भी गिरा दिया. अचानक हुए इस तोड़फोड़ से अनेक सदस्य व अधिकारी भी सकते में आ गए. हंगामे के दौरान ही सभी पदाधिकारी सदन के बाहर निकल गए. 

    उपमुख्यमंत्री पर आरोप से भड़का विपक्ष

    सभा का प्रारंभ तो अतिवृष्टि व बाढ़ से पीड़ित किसानों को मुआवजा व मदद के मुद्दे से हुआ था लेकिन जब पूर्व जिप अध्यक्ष रश्मि बर्वे ने यह आरोप लगाया कि नागपुर जिला परिषद में कांग्रेस की सत्ता होने के कारण पालक मंत्री ने डीपीसी के कार्यों पर स्टे लगाने का आदेश जारी किया है तो विपक्ष उखड़ गया. आतिश उमरे, सुभाष गूजरकर ने वह आदेश सदन में दिखाने अन्यथा बर्वे से सदन में माफी की मांग की.

    इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के सदस्यों के बीच करीब आधे घंटे तक विवाद चलता रहा और गुस्साये विपक्षी सदस्यों ने पानी की बोतलें फेंकी. शिंदे गुट शिवसेना सदस्य झाड़े ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर जिप प्रशासन व तत्कालीन पदाधिकारी समय पर टेंडर प्रक्रिया करते तो स्टे का असर ही नहीं होता. उपाध्यक्ष कुंदा राऊत ने भी कहा कि आज तक के इतिहास में एक पालक मंत्री द्वारा मंजूर डीपीसी के कार्यों पर कभी इस तरह स्टे नहीं लगाया गया जो इस सरकार ने लगाया है.

    शांता कुमरे रहीं शांत

    नये पदाधिकारियों को विपक्ष व बागी सदस्यों के हमलों से बचाने के लिए पूर्व अध्यक्ष रश्मि बर्वे, प्रकाश खापरे, दूधाराम सव्वालाखे, तापेश्वर वैद्य, सलील देशमुख और उज्वला बोढारे ने तो कमान संभाली लेकिन कांग्रेस की सबसे सीनियर सदस्य शांता कुमरे इस सभा में बिल्कुल शांत बैठी रहीं. बताते चलें कि कुमरे एसटी वर्ग से अध्यक्ष पद की प्रबल दावेदार थीं लेकिन उन्हें किनारे कर दिया गया. हर सभा में वे अपनी पार्टी के साथ खड़ी नजर आती रही हैं लेकिन इस सभा में उन्होंने तटस्थ भूमिका निभाई. वहीं कंभाले के साथ इस बार तो अरुण हटवार ने अपने ही पदाधिकारियों को जमकर घेरा. 

    विषय सूची में शामिल विषयों पर हम चर्चा करने की मांग कर रहे थे जिसमें अनेक महीनों से गैरहाजिर सदस्य शंकर डडमल की छुट्टी के आवेदन को मंजूरी सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे थे लेकिन अध्यक्ष ने चर्चा न करते हुए तानाशाहीपूर्ण तरीके से विषयों को मंजूर करने का प्रयास किया जिसके चलते ही सदस्य भड़क उठे. विभागीय आयुक्त से इस संदर्भ में शिकायत करेंगे.

    आतिष उमरे (विरोधी पक्षनेता)

    लगभग 5 घंटे सदन में सभी विषयों पर चर्चा हुई. विपक्ष अपनी सरकार द्वारा डीपीसी फंड पर स्टे, किसानों को मुआवजा की राशि नहीं देने के संदर्भ में कोई जवाब नहीं दे पाया. सभा के अंत में उनके द्वारा तोड़फोड़ महज पब्लिक स्टंट है. उनके पास कोई मुद्दा ही नहीं था.

    कुंदा राऊत (उपाध्यक्ष)