Sunil Kedar and Rajendra Mulak

  • कंभाले ने पार्टी नेताओं पर लगाए गंभीर आरोप

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नागपुर. कांग्रेस से बागी जिप सदस्य नाना कंभाले ने अपने आला नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं. पार्टी द्वारा अब निलंबन की कार्रवाई किये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमने गलती की है तो हम पर कार्रवाई करें लेकिन अगर नेता गलती, भेदभाव व अन्याय कर रहे हैं तो उन पर क्या कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि तानाशाही और दगाबाजी के विरोध में हमने आवाज उठाई. उनके साथ कांग्रेस के ही बागी प्रीतम कवरे और मेधा मानकर भी उपस्थित थीं. पत्रकारों से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री सुनील केदार की तानाशाही चल रही है. केवल सावनेर से ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाया जा रहा है. निधि भी सावनेर और रामटेक में ही ले जाई जा रही है. हम भी पार्टी के लिए निष्ठा से कार्य कर रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं है. दूसरे गुट का मानकर भेदभाव किया जा रहा है. हमने अपने अधिकार के लिए संघर्ष किया. आगे भी सभागृह में विरोध की भूमिका ही रहेगी.

साथ देने का वादा फिर पलटी

कंभाले ने दावा किया कि 3 महीने पहले वे अपनी नाराजी लेकर जिलाध्यक्ष राजेन्द्र मूलक के पास गए थे. उन्हें सारी स्थिति से अवगत करवाया था कि केवल केदार गुट के सदस्य ही पदाधिकारी बन रहे हैं कुछ करें. तब उन्होंने कहा था कि उनके पास 6 सदस्य हैं कुछ सदस्यों को साथ लो तो साथ देंगे लेकिन फिर ऐन वक्त पर वे पलट गए. उन्होंने धोखा दिया. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे मनाने के लिए किसी ने संपर्क नहीं किया. यह भी साफ किया कि हमने भाजपा से समर्थन नहीं मांगा था. वहीं प्रीतम कवरे और मेधा मानकर ने आरोप लगाया कि निधि वितरण भी भेदभाव किया जाता रहा, अनेक बार शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

कंभाले का हो गया गेम

जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं उससे यह लग रहा है कि कंभाले का गेम किया गया है. कांग्रेस के 3 गुट हैं यह छिपा नहीं है. बताया जा रहा है कि केदार गुट के वर्चस्व के चलते खेल किया गया. कंभाले ने तो दावा किया कि मूलक ने अपने गुट के 6 सदस्यों के साथ देने को कहा था. वहीं नाना गावंडे गुट में 8 सदस्य हैं. दोनों गुट के कुल 14 कांग्रेसी सदस्य हो रहे थे. कंभाले ने भाजपा व शिंदेगुट शिवसेना के झाड़े सहित 15 सदस्यों से चर्चा कर ली थी. इस तरह कुल 29 सदस्य हो रहे थे. 2 सदस्यों का जुगाड़ और करना था और दावा किया जा रहा है कि राकां के सदस्य तैयार थे लेकिन केदार को भनक लगते ही वे सक्रिय हो गये. उन्होंने मूलक, गावंडे, रमेश बंग से चर्चा की और सारे सदस्यों को गोपनीय स्थान पर शिफ्ट कर दिया जिसके चलते ‘खेला’ नहीं हो पाया. राकां ने 2 सभापति पद मांगे लेकिन केदार ने उसे 1 सभापति देने का वादा किया है. कहा जा रहा है कि इस गेम में कंभाले का गेम हो गया. 

राज्याभिषेक के पहले ही वनवास : शांता कुमरे

अध्यक्ष के लिए एसटी वर्ग का आरक्षण घोषित होते ही सबसे सीनियर व 20 वर्षों से जिप सदस्य शांता कुमरे का नाम तो विपक्षी सदस्यों के मुंह पर बसा हुआ था. सभी को पूरी आशा थी की वही अध्यक्ष होंगी. सोमवार की सुबह तक उनके सर्कल में भी जनता में उत्साह की लहर थी लेकिन जब मुक्का कोक्कडे के नाम की घोषणा हुई तो वे भी स्तब्ध रह गईं. उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए धक्कादायक है. मैंने बड़े भाई स्वरूप केदार व मूल के मार्गदर्शन में पार्टी के लिए पूरी निष्ठा से कार्य किया. कुंदा राऊत के पिता के साथ भी कार्य करने का अवसर मिला. मुझे क्यों किनारे किया गया यह समझ से परे हैं. ऐसा लगा कि श्रीराम के राज्याभिषेक होने के एक दिन पूर्व ही उन्हें वनवास हो गया. बावजूद इसके अपनी पार्टी के लिए मरते दम तक पूरी निष्ठा से कार्य करूंगी.