नागपुर. वैवाहिक कलह के बीच हाईकोर्ट ने एक बार फिर सराहनीय फैसला सुनाया है. इस मामले में पत्नी का अपने पति पर आरोप है कि उसे गुजारा भत्ता नहीं दिया जा रहा है. उसका कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार न तो अब तक पति ने उसे अंतरिम मेंटेनेंस की रकम दी और न ही किराए का भुगतान किया. ऐसे में पति का बर्ताव न्यायालय के आदेश का सीधा उल्लंघन है.
हाईकोर्ट ने जब इस मामले में तथ्यों की जांच-परख की, तो पता चला कि पति आर्थिक रूप से सक्षम है, उसने इस अवधि में कई देशों की यात्राएं की. ऐसे में उसने जानबूझकर अदालत के आदेश का पालन नहीं किया है.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि, इस मामले में पति को दोषी पाया जाता है और वह कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई झेलने का पात्र है. आगे उससे अपना पक्ष रखने के अधिकार भी छीने जा सकते हैं. लेकिन इस मामले में एक अंतिम चेतावनी स्वरूप पति को 15 नवंबर तक 50 प्रतिशत मेंटेनेंस या फिर 4 किस्तों में सारी रकम अदा करने को कहा गया है.