Nagpur High Court
File Photo

    Loading

    नागपुर. हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों का पालन नहीं किए जाने के कारण गुम्फा थूल ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश एएस चांदूरकर और न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला ने 2 सप्ताह में याचिकाकर्ता की अर्जी पर निर्णय लेने का अंतिम अवसर सरकार को दिया. साथ ही यदि इन 2 सप्ताह के भीतर निर्णय नहीं लिया गया तो शिक्षाधिकारी (सेकेन्डरी) और अन्य प्रतिवादियों को 11 फरवरी को अदालत में हाजिर रहने के आदेश भी दिए. हाई कोर्ट ने इस आदेश की जानकारी संबंधित प्रतिवादियों को देने के आदेश सरकारी वकील को दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. पीडी मेघे और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील एचएन जयपुरकर ने पैरवी की.

    साढ़े 3 वर्ष खंडित रही सेवा

    याचिकाकर्ता के अनुसार चतुर्थ श्रेणी में कार्यरत याचिकाकर्ता ने 7 सितंबर 2020 को शिक्षाधिकारी (सेकेन्डरी) के पास आवेदन किया था. इसमें 1 जनवरी 2013 से लेकर 19 जुलाई 2017 तक की खंडित सेवा को नजरअंदाज करने का अनुरोध किया गया था. किंतु इस पर निर्णय नहीं लिया गया. इससे हाई कोर्ट में दीवानी याचिका दायर की गई थी. याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष का मानना था कि एक वर्ष से अधिक समय तक सेवा खंडित रही है. इससे हाई कोर्ट ने ही यह अर्जी राज्य सरकार को भेजने के आदेश शिक्षाधिकारी को दिए थे. अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया था कि राज्य सरकार द्वारा जो भी निर्णय लिया जाए वह 8 सप्ताह के भीतर होना चाहिए. 

    उप संचालक से मांगी गई थी रिपोर्ट

    सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पैरवी कर रहे सहायक सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि मई 2021 में ही राज्य सरकार को याचिकाकर्ता की अर्जी शिक्षाधिकारी द्वारा भेजी गई है. इस पर अदालत का मानना था कि भले ही राज्य सरकार को अर्जी भेजी गई हो लेकिन दायर किए गए शपथपत्र में अर्जी की वर्तमान स्थिति का कोई भी ब्योरा नहीं है. इसके विपरीत 21 अक्टूबर 2021 को याचिकाकर्ता की सर्विस बुक में दर्ज जानकारी की जांच करने के आदेश शिक्षा उप संचालक को दिए जाने का खुलासा शपथपत्र में किया गया है. साथ ही उप संचालक से रिपोर्ट भी मांगी गई थी. अत: हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार अब तक अर्जी पर कोई निर्णय लिया गया या नहीं, इसका कोई खुलासा नहीं हो रहा है. लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया.