7 दिसंबर को उमरेड पहुंचेगी ‘पेंशन संघर्ष यात्रा’, 70 संगठनों का मिला साथ

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    उमरेड : मुंबई से शुरू हुई पेंशन संघर्ष यात्रा 7 दिसंबर की शाम को उमरेड में आएगी। इस अवसर पर 8 दिसंबर को सुबह 10 बजे स्थानीय आशीर्वाद हॉल में पेंशन संघर्ष बैठक का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम की तैयारी जोरो से शुरू है। संघर्ष यात्रा में करीब 70  संगठन शामिल हुए है। वहीं इस कार्यक्रम में करीब 500 कर्मचारी मौजूद रहेंगे। यह जानकारी जुनी पेन्शन संघर्ष समन्वय समिती नागपुर की और से प्रेस कॉन्फरन्स में दी गई है। 

     बता दें कि केंद्र सरकार के अध्यादेश के बाद 1 नवंबर 2005 और उसके बाद नियुक्त कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बंद कर दी गई और उन्हें विकल्प के तौर पर डीसीपीएस और एन.पी.एस. योजना लागू की गई।  यह योजना फर्जी है और इसका किसी भी प्रकार का लाभ सेवानिवृत्त लोगों को नहीं मिल रहा है। नतीजतन, पिछले 16 वर्षों में, कई सेवानिवृत्त और मृत कर्मचारी और उनके परिवार किसी भी पेंशन से वंचित हैं और भुखमरी का सामना कर रहे हैं।  सरकार की सेवा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले कर्मचारियों पर ऐसे समय का आना निंदनीय बात है। 

    महाराष्ट्र में सभी संगठन पिछले पंद्रह वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि पुरानी पेंशन योजना के सभी लाभ 31 अक्टूबर 2005 के बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों को फिर से मिलें।  हालांकि सरकार ने समय-समय पर केवल वादे कर कर्मचारियों को ठगा है।  इसलिए यात्रा के दौरान समिति मांग करेगी कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया जाए। 

    नागपुर जिले के सभी विभागों के सरकारी और अर्ध सरकारी कर्मचारियों से बड़ी संख्या में पेंशन संघर्ष बैठक में शामिल होने का अनुरोध नागपुर समिति के अध्यक्ष अध्यक्ष अतुल खांडेकर, कमलाकर काले, करुणा वाघले, किशोर श्रीराम, जागेश्वर कावले, महेश खांडे, चेतन देवतारे, आशीष कामदी, पराग इखरकर, प्रशांत गभाने, राजेश्वर गावंडे, वासुदेव कंगले राजाराम रत्नम की और से किया गया है। 

    पेंशन संघर्ष यात्रा का स्वरूप  

    पेंशन संघर्ष यात्रा 22 नवंबर 2021 को आजाद मैदान, मुंबई में एक कार्यक्रम के साथ शुरू हुई। वहां से पेंशन रथ के माध्यम से जागरूकता फैलाते हुए सरकार से पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का अनुरोध करते हुए यह पेंशन संघर्ष यात्रा एक के बाद एक जिले में जाएगी। और सभी 36 जिले के कर्मचारियों, पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से मुलाकात और इसी प्रकार के आयोजन कर और अंत में वर्धा के सेवाग्राम में इस संघर्ष यात्रा का समापन होगा।