NMC की लापरवाही से जनता की बर्बादी, बारिश पूर्व तैयारियों की होती रही खानापूर्ति

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नागपुर. मानसून के दिनों में भारी बारिश से किसी तरह की तबाही न हो, इसके लिए ही मनपा हर वर्ष बारिश पूर्व तैयारियां करती है. इसमें विशेष रूप से शहर से गुजरने वाली नाग नदी, पीली नदी और पोहरा नदी की सफाई का अभियान चलाया जाता है. इस वर्ष बारिश की तैयारियों को लेकर मनपा की कार्यप्रणाली पर लगातार प्रश्नचिह्न लगते रहे हैं किंतु इस ओर ध्यान ही दिया गया. यहां तक कि बारिश पूर्व तैयारियों की केवल खानापूर्ति होती रही है जिसका नतीजा यह रहा कि केवल साढ़े 3 घंटे की तूफानी बारिश ने पूरी पोल खोल दी. मनपा की लापरवाह कार्यप्रणाली के चलते ही जनता को अपनी बर्बादी का मंजर देखना पड़ा. बारिश पूर्व तैयारियों की वास्तविकता का अंदाजा इसी से भी लगाया जा सकता है कि अब फिर एक बार मनपा को नाग नदी की सफाई के लिए मशीनों को नदी में उतारना पड़ा है. 

AC केबिन में बैठे रहे अधिकारी

बताया जाता है कि नदी सफाई अभियान शुरू करने से पूर्व तत्कालीन आयुक्त की ओर से अधिकारियों की बैठक ली गई जिसमें एक अधिकारी को पूरे अभियान की जिम्मेदारी सौंपी गई. लचर प्रणाली का आलम यह रहा कि इस वरिष्ठ अधिकारी ने अपने कनिष्ठ अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपकर अभियान से राहत पा ली. हमेशा की तरह मनपा ने कुछ हिस्सा कर्मचारियों से तो कुछ हिस्सा मशीनों से साफ करने की हिदायत देकर कर्मचारियों को काम पर लगा दिया. कर्मचारी हमेशा की तरह काम पर लग गए लेकिन वास्तव में सफाई हो रही है या नहीं, इसका जायजा लेने के लिए कभी भी अधिकारी अभियान स्थल नहीं पहुंचे. प्रतिदिन कितने किलोमीटर की सफाई हुई इसका आंकड़ा लेकर जिम्मेदारी पूरी होती रही है. 

नदी किनारे छोड़ दिया मलबा

उल्लेखनीय है कि मनपा की ओर से शुरू किए गए नदी सफाई अभियान को 30 जून तक जारी रखा गया था. केवल 2 माह पूर्व मनपा ने नदियों की सफाई की है. यदि सटीकता से नदियों की सफाई हुई होती तो संभवत: 100 एमएम बारिश होने के बाद भी बस्तियों में पानी नहीं घुसता. लेकिन हकीकत यह रही कि नदियों से निकलने वाले मलबे का पूरी तरह से निपटारा नहीं किया गया. नाग नदी की चौड़ाई अधिक होने के कारण बीच से मिट्टी और मलबा निकालने के बाद इसे किनारे पर ही छोड़ दिया गया जिसकी वजह से पानी की निकासी के लिए जगह ही नहीं बची है. यहां तक कि किनारों पर रखी मिट्टी और मलबा अब पुन: नदी में आ गया है. यही कारण है कि अब फिर एक बार मशीनों को नदी में उतारना पड़ा है. 

आंकड़ों की करते रहे बाजीगरी

नदी सफाई अभियान के दौरान हर दिन अधिकारियों की ओर से सफाई के कुछ आंकड़े जारी होते रहे हैं लेकिन प्रतिदिन निकलने वाली मिट्टी और मलबे को लेकर कोई जानकारी उजागर नहीं होती थी. इतनी मिट्टी कहां ले जाई गई? इसका हिसाब तक उजागर नहीं किया गया, जबकि इसे लेकर बार-बार अधिकारियों को कटघरे में खड़ा किया जाता रहा है लेकिन तत्कालीन आयुक्त ने न तो इसे गंभीरता से लेकर अभियान का जायजा लिया और न ही अधिकारियों से जवाब तलब किया.