Nagpur High Court
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नागपुर. जिला कंज्यूमर फोरम पर बतौर अध्यक्ष एवं सदस्य के रूप में नियुक्ति के बाद अब मई अंत में कार्यकाल खत्म होने जा रहा है. पुन: नियुक्ति के लिए चयन समिति के पास आवेदन किया गया किंतु अब तक इस संदर्भ में निर्णय नहीं लिया गया. इसकी वजह से अविनाश प्रभुने और अन्य 12 लोगों द्वारा  हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने चयन समिति की सिफारिशों तक वैकल्पिक व्यवस्था तथा तदर्थ व्यवस्था के तहत याचिकाकर्ताओं को यथावत रखने के आदेश प्रशासन को जारी किए. अदालत ने स्टाप-गैप व्यवस्था के तहत याचिकाकर्ताओं को उनके पदों पर रहने के आदेश दिए. अदालत ने कहा कि यदि चयन समिति की ओर से उनके नामों की सिफारिश नहीं की जाती है और याचिकाकर्ता 65 वर्ष की उम्र हैं तो ऐसी अवस्था में वे इस पद पर बने नहीं रह सकेंगे.

अन्य संबंधित बेंच के समक्ष जाएं

अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि 13 याचिकाकर्ताओं में से कुछ याचिकाकर्ता नागपुर खंडपीठ के अधिकार दायरे में आते हैं. अत: यह आदेश उनके लिए लागू होगा, जबकि अन्य याचिकाकर्ताओं को संबंधित खंडपीठ के अधिकार क्षेत्र में याचिका दायर करनी होगी. याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि उन्हें राज्य में न केवल अध्यक्ष बल्कि जिला उपभोक्ता मंच पर सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया. फूड, सिविल सप्लाई एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन डिपार्टमेंट रूल्स के अनुसार ग्रुप ‘ए’ में जिला उपभोक्ता विवाद फोरम में उनकी नियुक्तियां की गईं. मई 2018 में उनकी नियुक्ति हुई है. नियमों के अनुसार 5 वर्ष का कार्यकाल मई अंत में खत्म होने जा रहा है जिससे उनकी पुन: नियुक्ति की जानी चाहिए.

65 वर्ष तक रह सकते हैं पदस्थ

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि नियमों के अनुसार जो भी पहले खत्म हो, उसमें या तो 4 वर्ष या फिर 65 वर्ष की उम्र तक वे अपने पदों पर बने रह सकते हैं. इसके बाद पुन: 4 वर्ष या फिर 65 वर्ष की उम्र तक नियुक्ति हो सकती है. इसके अलावा चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर उनकी पुन: नियुक्तियां हो सकती हैं. सुनवाई के दौरान सरकार ने बताया कि वर्तमान में मामला चयन समिति के पास लंबित है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार याचिकाकर्ताओं की पुन: नियुक्ति के लिए क्या लिखित परीक्षा और साक्षात्कार लिए जाएं, इसे लेकर न्याय व विधि विभाग से सुझाव मांगा गया है. दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किए.