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    नागपुर. कोरोना के नये वैरिएंट को लेकर राज्यभर में सतर्कता बरतने के निर्देश दिये गये है. प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि वैक्सीन के दोनों डोज लेने वाले ही यात्रा कर सकते हैं. विवाह समारोह सहित अन्य स्थानों पर भीड़ नहीं बढ़ाने और नियमों का पालन करने के आदेश जारी किये गये है लेकिन प्रशासन के तमाम तरह के आदेशों का पालन होता दिखाई नहीं दे रहा है. बाजारों में उमड़ती भीड़, बसों, ट्रेनों में खचाखच भरे यात्री देखकर नहीं लगता कि नियमों का पालन हो रहा है.

    फिलहाल जिले में कोरोना को लेकर स्थिति सामान्य है. महीनेभर के भीतर किसी भी मरीज की मौत की खबर नहीं है. साथ ही शहर और जिले में इक्का-दुक्का मरीज ही सामने आ रहे हैं जो मरीज मिल रहे हैं उनमें गंभीर मरीजों का समावेश नहीं है. लेकिन दक्षिण अफिक्री देशों में मिले नये वैरिएंट को लेकर एडवाइजरी जारी कर दी गई है. अब तक विदर्भ में नये वैरिएंट का कोई भी संक्रमित नहीं मिला है.

    यही वजह है कि खुद स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने घबराने की जरूरत नहीं होने की बात कही. लेकिन जिला प्रशासन और मनपा प्रशासन द्वारा ऐन वक्त पर लिये जा रहे फैसलों से जनता हैरान है. मनपा आयुक्त ने एक दिन पहले घोषणा कर दी कि प्राइमरी स्कूल शुरू नहीं होंगे. जबकि जिलाधिकारी ने आदेश किया कि ग्रामीण भागों में स्कूल शुरू होंगे. आदेश के बाद ग्रामीण भागों में बुधवार से स्कूल भी शुरू हो गये. 

    ग्रामीण में बने स्कूलों में जा रहे सिटी के बच्चे

    सिटी से लगे हुये ग्रामीण भागों में करीब 50 से अधिक स्कूल हैं. इन स्कूलों में सिटी के करीब 70 फीसदी छात्र अध्ययनरत है. सिटी में रहने वाले छात्र ग्रामीण में बनी स्कूलों में आने लगे हैं लेकिन सिटी के स्कूल बंद होने से ऑनलाइन क्लासेस ही जारी रहेगी. पालकों को प्रशासन का यह निर्णय हजम नहीं हो रहा है. लोगों का कहना है कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक कक्षाओं में पढ़ने वाले उनके बच्चे स्कूल जा रहे हैं. परिवार के सदस्य भी अपने-अपने काम पर जा रहे है. फिर केवल प्राइमरी के बच्चों के लिए बंदिश लगाना कहां तक उचित है.

    वायरस तो किसी भी व्यक्ति के माध्यम से घर तक पहुंच सकता है. यह ठीक है कि सावधानी और सतर्कता के तौर पर 10 दिसंबर तक प्राइमरी स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया गया है लेकिन शिक्षा व्यवस्था में समानता होनी चाहिए. सिटी में अब भी पहली से सातवीं तक स्कूल बंद है. जबकि ग्रामीण भागों में महीनेभर पहले से ही 5वीं से स्कूल शुरू हो गए हैं. 

    ऑक्सीजन प्लांट का काम अब तक अधूरा

    हालांकि प्रशासन द्वारा पाबंदियां तो लगाईं जा रही है लेकिन कोरोना प्रतिबंधक उपाय योजना को लेकर गंभीरता नहीं बरती जा रही है. प्रशासन तीसरी लहर से निपटने की की बात कर रहा है लेकिन हकीकत में तैयारी पूरी हो गई है क्या ? मेडिकल में तीन ऑक्सीन प्लांट लगाए गये हैं. काम भी लगभग पूरा हो गया है लेकिन अब तक शुरू नहीं हो सके हैं. मेडिकल के ट्रॉमा यानी कोविड हॉस्पिटल परिसर में 3२०० एलपीएम प्लांट के लिए बिजली व्यवस्था पूरी नहीं हो सकी है.

    प्लांट की क्यूरेटिव रिपोर्ट ९० होना चाहिए लेकिन ७० क्यूरेटी रिपोर्ट आई है. इस हालत में इसमें दुरुस्ती की जरूरत है. दूसरे दो प्लांट शासकीय दंत महाविद्यालय के पास लगाए गये हैं. 3२०० एलपीएम का यह प्लांट भी पूरा नहीं हो सका है. इसकी क्यूरेटी रिपोर्ट नहीं आई है. पालक मंत्री नितिन राऊत व जिलाधिकारी कार्यालय की मदद से मेडिकल में हवा से प्राणवायु तैयार करने का प्रकल्प भी 4 महीने में पूरा नहीं हो सका है.