Dhangar Reservation
धनगर आरक्षण

    Loading

    नागपुर. राज्य सरकार ने धनगर समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने में अपनी असमर्थता दिखाई है. हाल में हुई सुनवाई के बाद राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि कोर्ट के आदेश के अनुसार एसटी आरक्षण देना संभव नहीं है. इस फैसले के बाद एक बार फिर राजनीति शुरू हो गई है और आरोप लगाया जा रहा है कि इसके लिए ठाकरे सरकार जिम्मेदार है. धनगर समुदाय के लिए एसटी आरक्षण कानूनी रूप से असंभव है, और राजनीतिक दलों पर इसके पीछे वोट के लिए राजनीतिक संघर्ष का भी आरोप लगाया जा रहा है.

    मराठा समुदाय के आरक्षण की तरह धनगर समुदाय का आरक्षण लंबे समय से अदालत में है. फडणवीस सरकार के बाद ठाकरे सरकार के दौरान भी इस आरक्षण पर चर्चा हुई. कोर्ट में सुनवाई भी हुई. राज्य में शिंदे सरकार ने एक हलफनामा दिया है कि यह संविधान के आधार पर संभव नहीं है, यह एक संकेत है कि धनगर आरक्षण का मुद्दा भविष्य में फिर गर्मा सकता है.  

    महागठबंधन सरकार का पाप

    यह महागठबंधन सरकार का पाप है कि वह धनगर समुदाय अनुसूचित जनजातियों में शामिल नहीं हो पाया. शिवसेना ने हमें इस संबंध में एक लिखित वादा किया था,  लेकिन पार्टी ने बाद में उसका पालन नहीं किया. उद्धव ठाकरे सरकार ने कभी कोर्ट में हमारा बचाव नहीं किया. तत्कालीन सरकार को हमारी सिफारिश करना मुश्किल क्यों लगा, यह अब शोध का विषय है. 

    – डॉ. विकास महात्मे, पूर्व सांसद, भाजपा

    वोट के लिए सियासी घमासान

    किसी भी समाज में आरक्षण के कुछ मापदंड होते हैं. इन्हीं का पालन कर उसे आरक्षण का लाभ दिया जाता है. हालांकि, राज्य में वोट की राजनीति के लिए तगड़ा राजनीतिक संघर्ष चल रहा है.  धनगर आरक्षण एक राजनीतिक वादा है. जिसका पूरा होना एक सपने जैसा है. परिणाम चाहे जो भी हो लेकिन सच्चाई को कोर्ट में पेश करना चाहिए.  

    -नितिन चौधरी, मुख्य संयोजक, नेशनल ओबीसी लिबरेशन फ्रंट.